इटावा की राजनीति सोमवार को अचानक गरमा गई। मामला उस वक्त का है जब कांग्रेस के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपशब्द कहे जाने के विरोध में भाजपा कार्यकर्ता कांग्रेस कार्यालय का घेराव करने पहुंचे थे। शांतिपूर्ण तरीके से शुरू हुआ यह विरोध प्रदर्शन अचानक हिंसा में बदल गया जब कांग्रेसियों ने भाजपाइयों पर जमकर पथराव कर दिया। पत्थरबाज़ी में कई कार्यकर्ता घायल हो गए और मौके पर भगदड़ मच गई।
इस घटना को लेकर भाजपा महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष बिरला शाक्य ने पुलिस को लिखित तहरीर दी। तहरीर में उन्होंने स्पष्ट कहा कि प्रदर्शन लोकतांत्रिक ढंग से किया जा रहा था लेकिन कांग्रेसियों ने साजिशन पथराव कर माहौल को बिगाड़ा। उनकी तहरीर के आधार पर एसएसपी के निर्देश पर पुलिस ने आधा दर्जन कांग्रेसियों और 20 अज्ञात लोगों के खिलाफ सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।
नामजद आरोपियों में पल्लव दुबे, कोमल सिंह कुशवाहा, विपिन कुशवाहा, राशीद पठान, मलखान सिंह यादव, प्रशांत तिवारी, आशुतोष दीक्षित और आसिक पठान शामिल हैं। पुलिस ने अब तक लगभग एक दर्जन लोगों को हिरासत में ले लिया है और बाक़ी की तलाश तेज़ कर दी गई है। अधिकारियों ने साफ किया है कि पत्थरबाज़ों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।
इस पूरे घटनाक्रम ने शहर में बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। लोग कह रहे हैं कि “क्या इटावा की राजनीति पत्थर युग में प्रवेश कर चुकी है?” शहरवासी चिंता जता रहे हैं कि अगर राजनीति इसी तरह पत्थरों के सहारे चलेगी तो आम जनता कैसे सुरक्षित रहेगी। कहीं ऐसा न हो कि राजनीतिक कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए कार्यकर्ताओं और नेताओं को अब हेलमेट पहनकर आना पड़े।