Wednesday, November 6, 2024

बाबर ने इटावा पर भी कि‍या था अधि‍कार

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1528 ई0 में कालपी-कन्‍नौज के साथ ही बाबर ने इटावा पर भी अधि‍कार  कर लि‍या। इटावा की जागीर हुमायूं ने  उजबेग सुल्‍तान हुसैन को दे दी । बाबर की मृत्‍यु 1530 ई0 में हो गई और हुमायूं दि‍ल्‍ली  की गद्दी पर बैठा । हुमायूं को प्रारम्‍भ से ही गुजरात के बहादुर शाह और बि‍हार के शेरखां से सत्‍ता संघर्ष  करना पड़ा।

इटावा को  व्‍यवस्‍ि‍थत करने के लि‍ये  शेरशाह ने 12 हजार सैनि‍कों  की एक फौज भदावर में तैनात की । शेरशाह के समय इटावा की व्‍यापारि‍क  प्रगति‍ भी प्रारम्‍भ  हो गयी थी। शेरशाह द्वारा बनवाई ‘’सड़क-ए-आजम’’ (वर्तमान मुगल रोड) इटावा से होकर नि‍कली । इस समय इस सड़क के किनारों  पर कुछ डाक चौकि‍यां और सराय भी स्‍थपि‍त  की गयीं थीं। इटावा  का पहली  बार शेरशाह के काल में प्रशासनि‍क वि‍भाजन हुआ। सम्‍पूर्ण क्षेत्र को परगनों में बांटा गया और उसमें शि‍कदार तथा अमीन नि‍युक्‍त कि‍ये गये।

Ashish Bajpai
Ashish Bajpaihttps://etawahlive.com/
Content Writer, Web Developer, Video Editor, Graphic Designer, किसान, लेकिन सबसे पहले भारतीय, Call-7017070200, 9412182324, [email protected], बस एक क्लिक में जाने अपने इटावा को।

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