1487 ई0 में जौनपुर तथा दिल्ली के लोदी वंश के बीच पुन:संधि टूट गई। इटावा में बहलोल लोदी तथा जौनपुर की ओर से हुसैन शाह के भाई इब्राहीम खां तथा हैबत खां के मध्य युद्ध हुआ । इटावा के किले पर लोदियों का अधिकार हो गया। बहलोल लोदी की ओर से इब्राहीम लोहानी इटावा का गवर्नर बनाया गया तथा राजा प्रतापनेर को इटावा का किला तथा कुछ गांव और चन्दावर का शासन सिकन्द के भाई अलाउद्दीन के हाथ रहा । 1517 में सिकन्दर की मृत्यु के बाद इटावा में मुस्िलम गवर्नर अनवरत रूप से रहने लगे।
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