इटावा। विटामिन की कमी से बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा आती है। विटामिन ए की कमी सीधे नहीं उभरती है,लेकिन धीरे धीरे इसका असर दिखाई देता है।बच्चों में नजर के चश्मे लगना भी विटामिन ए की कमी का एक मुख्य लक्षण है। इसलिए जरूरी है,कि विटामिन ए की कमी को दूर किया जाए।साल में दो बार दी जाने वाली इस खुराक से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा होता है। इटावा जनपद में 9 माह से 35 माह तक के बच्चों को विटामिन ए की डोज देने का प्रतिशत बढ़ा है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-4 (एनएफएचएस) 2015-16 में इस आयु वर्ग में 41.5 प्रतिशत बच्चों को विटामिन ए दे जाती थी।जबकि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 (एनएफएचएस) 2019-21 में यह प्रतिशत बढ़कर 73.9 प्रतिशत हो गया है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ०गीताराम का कहना है,कि शिशु की अन्य विटामिन की जरूरत को कई तरह के खाद्य पदार्थों से पूरा किया जा सकता है। लेकिन विटामिन ए एक ऐसा जरूरी विटामिन है जो शरीर खुद नहीं बना सकता है। इसलिए आहार में विटामिन ए युक्त चीजों को शामिल करना जरूरी है। दिल,फेफड़ों,किडनी और अन्य अंगों के कार्य में विटामिन ए मददगार है। उन्होंने बताया की 28 दिसंबर से बच्चों को विटामिन ए की दवा पिलाने का अभियान चल रहा है। उन्होंने अपील की, कि एक माह तक चलने वाले इस अभियान के दौरान प्रत्येक बुधवार और शनिवार को अपने नौ माह से 5 साल तक के बच्चों को इसका सेवन ज़रूर करवायें और बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ०श्रीनिवास का कहना है,कि हर बच्चे को निश्चित मात्रा में विटामिन ए की जरूरत होती है। हालांकि उम्र के आधार पर यह निर्णय लिया जा सकता है कि बच्चे को कितनी मात्रा में विटामिन ए चाहिए।नौ माह से 12 माह तक के बच्चों को नियमित टीकाकरण सत्र के दौरान एमआर के प्रथम टीके के साथ आधा चम्मच (एक एमएल),16 से 24 महीने के बच्चों को एमआर के दूसरे टीके साथ एक पूरा चम्मच (दो एमएल),दो वर्ष से पांच वर्ष तक के बच्चों को छह-छह माह के अंतराल पर विटामिन ए सम्पूर्ण कार्यक्रम के दौरान पूरा चम्मच (दो एमएल) विटामिन ए का घोल पिलाया जाता है। उन्होंने बताया कि बच्चों में विटामिन ए की कमी से रतौंधी का खतरा अधिक होता है।
जिला संयुक्त चिकित्सालय के बाल रोग विषेशज्ञ डॉ०पीके गुप्ता का कहना है,कि संतुलित आहार की कमी या लिवर से जुड़े विकारों के कारण विटामिन ए की कमी हो सकती है।यदि गंभीर रूप से विटामिन ए की कमी हो तो आंखों में धुंधलापन,तेज रोशनी से आंखें चुंधियाना,आंखों के सफेद हिस्सों पर पैचेज, रात में दिखाई न देना, आंखों में गंभीर रूप से ड्राईनेस जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। बच्चे में विटामिन ए की कमी के संकेत दिखने पर बाल रोग चिकित्सक को दिखाएं।