यमुना नदी इस बार विकराल रूप में आ गई है। खतरे के निशान को पार करते हुए नदी का जलस्तर 122.06 मीटर तक पहुँच चुका है। तेज बहाव ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। श्मशान घाट में तीन फुट तक पानी भरने से अंतिम संस्कार की प्रक्रिया ठप पड़ गई है और परिजन शवयात्रा को श्मशान घाट के सामने बने अस्थायी स्थल तक ले जाने को मजबूर हैं।
सुनवारा इलाके में स्थित पधराया हनुमान मंदिर का पूरा परिसर पानी में डूब गया है। मंदिर तक जाने वाली आरसीसी सड़क पर साढ़े चार फुट पानी भरने से रास्ता बंद हो गया है। घाटों और मंदिरों में पाँच फुट तक पानी भरा है, जिससे पूजा-अर्चना भी रोक दी गई है।
तलहटी किनारे बसे गाँव और खेत भी पानी की चपेट में आ गए हैं। हजारों बीघा फसल जलमग्न होने से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। श्मशान घाट से सामान को जेसीबी की मदद से सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा रहा है।
बाढ़ के बीच मगरमच्छों की मौजूदगी नई मुसीबत बनकर सामने आई है। श्मशान घाट के पीछे रोजाना दो से तीन विशाल मगरमच्छ दिखाई दे रहे हैं, जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है।
स्थानीय युवक अवनीश कुशवाह ने बताया, “इतना पानी कभी-कभार ही देखने को मिला है। मगरमच्छ अब लोगों के लिए बड़ी चिंता बन गए हैं। न तो खेतों की ओर जा पा रहे हैं और न ही घाट पर रुकने की हिम्मत जुटा पा रहे हैं।”