कस्बा क्षेत्र में बड़ी संख्या में झोलाछाप क्लीनिक खुलेआम चल रहे हैं, जो बिना किसी डिग्री के मरीजों का इलाज कर रहे हैं। यह झोलाछाप क्लीनिक लोगों की जान के लिए खतरा बने हुए हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग सिर्फ खानापूरी कर रहा है। विभाग समय-समय पर एक-दो क्लीनिकों को सील कर छापेमारी की औपचारिकता पूरी करता है, लेकिन इन झोलाछापों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती।
कस्बा क्षेत्र के कुरखा गांव में बीते साल जुलाई माह में एक झोलाछाप के गलत इलाज से दो मासूम बच्चों की जान चली गई। इस घटना ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया है। घटना के बारे में जानकारी मिली है कि धर्मेंद्र नामक व्यक्ति अपने दो बच्चों को इलाज के लिए झोलाछाप के पास लेकर गया था। उसकी बेटी परी को उल्टी और दस्त की शिकायत थी, लेकिन बिना किसी जांच के झोलाछाप ने उसे निमोनिया का इलाज देने के बाद दवाइयां दे दीं। बाद में परी की हालत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई। जब उसके भाई चंदन की हालत भी खराब हुई, तो धर्मेंद्र ने उसे दूसरे झोलाछाप के पास इलाज के लिए ले गया, लेकिन वहां भी कोई ठोस उपचार नहीं किया गया, जिससे चंदन की भी मौत हो गई।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा इन झोलाछाप क्लीनिकों के खिलाफ की गई जांच केवल औपचारिकता तक सीमित रहती है। विभाग ने कई बार इन क्लीनिकों को बंद किया, लेकिन असल में झोलाछापों का कारोबार अब भी चलता आ रहा है। विभागीय लापरवाही और इन झोलाछापों की बढ़ती गतिविधियों से इलाके में भय का माहौल बना हुआ है।