Tuesday, September 16, 2025

भारेश्वर मंदि‍र – जनपद का सबसे वि‍शाल और प्राचीन मंदि‍र दूसरा नहीं

Share This

भरेह का इति‍हास तो बक्‍त के पंछि‍यों सा उड़ गया लेकि‍न  अपने पद चि‍न्‍ह  यहां  के भारेश्‍वर  मंदि‍र और कि‍ले  के अवशेषों  के रूप  में छोड़ गया। भारेश्‍वर मंदि‍र  का नि‍र्माण भी कि‍ले  के नि‍र्माण काल से ही  जुड़ा़ हैं। इटावा जनपद में  भारेश्‍वर  मंदि‍र  जि‍तना वि‍शाल और प्राचीन दूसरा  मंदि‍र नहीं  है।  मंदि‍र का नि‍र्माण पंचायतन शैली  में रहा  होगा परन्‍तु अब इसका अस्‍ि‍तत्‍व अत्‍यधि‍क क्षीण हो गया है। इटावा  और औरैया क्षेत्र  के  नि‍कटवर्ती  मंदि‍रों  (देवकली और टि‍क्‍सी) में  दुर्ग  वास्‍तु की स्‍पष्‍ट छाप  मि‍लती है। टि‍क्‍सी  ओर देवकली  से भी प्राचीन  भारेश्‍वर  मंदि‍र  है। ऐसा प्रतीत होता है कि‍ दूर्गस्‍थापत्‍य को मंदि‍र  वास्‍तु में समावेश  करने की प्रकि‍या का प्रारम्‍भ भारेश्‍वर से ही हुआ।

भारेश्‍वर मंदि‍र एक अति‍ वि‍शाल जगती (मंदि‍र का चबूतरा )पर स्‍थापि‍त है। प्रवेश द्वार  पूर्व की ओर है। दांए पार्श्‍व  में यमुना  और चम्‍बल  की वि‍स्‍तीर्ण  जलधाराएं  आपस में मि‍ल रही हैं। भारेश्‍वर  महादेव के अभि‍षेक के लि‍ये दोनों नदि‍यां पहले प्रति‍स्‍पर्धा करतीं रहीं और अंत में दोनों ने संयुक्‍त रूप बनाकर आने का नि‍र्णय कर लि‍या हो।  प्रकृति‍ की इस छटा का अवलोकन मंदि‍र के प्रत्‍येक स्‍थान से होता है। मंदि‍र के दाएं पार्श्‍व को बहुत मजबूती से गढ़ा गया है। दीवार में बुर्ज और समतल स्‍थान  अलग से बने हैं। दीवार  के  मध्‍य में  रक्षक  स्‍तम्‍भ भी हैं।  इनमें  पानी नि‍कलने  का भी स्‍थान है।

दीवार और उसके ऊपर  समतल स्‍थान  का प्रयोग बाढ़ रक्षा तथा  बढ़े-ग्रस्‍तों  की सहायता के लि‍ये  कि‍या जाता रहा होगा। मंदि‍र की अधि‍क  ऊचांई का कारण भी नि‍कटवर्ती  नदि‍यों से  बाढ़ रक्षा का रहा होगा।

सीढ़ि‍यों  से मंदि‍र  के गर्भग्रह की ओर जाने के लि‍ए सीढ़ि‍यों  की संख्‍या एक सौ आठ  बताई जाती है। प्रत्‍येक सीढ़ी आठ इंच  के लगभग मोटी  है।  चाहरदीवारी के नीचे सामरि‍क महत्‍व का एक लम्‍बा बरामदा है। बरामदे  में दाई और  भूतल ने नीचे की ओर तहखानों  के लि‍ये सीढ़ि‍यॉ  चली गई हैं। बरामदा लगभग 5 फि‍ट  चौड़ा है। बरामदे  के बाहर  मराठा शैली  में नदी की ओर छतरि‍यॉ बनी हुई है। यह छतरि‍यॉ पतले स्‍तम्‍भों पर टि‍की है।

मंदि‍र की सीढ़ी  मार्ग पर लगभग 50 सीढि‍यां चढ़ने  के पश्‍चात पुन: सुरंग जैसा  लम्‍बा बरामदा है। इन बरामदों का सभवत: सैनि‍कों के लि‍ये  प्रयोग कि‍ये  जाने की योजना थी।  मंदि‍र मार्ग  में इस प्रकार  के सामरि‍क महत्‍व के बरामदों और  छतरि‍यों का होना  तत्‍कालीन वि‍देशी  आक्रमणों  के समय मंदि‍रों  को नष्‍ट  करने के लि‍ये  होने  वाले हमलों की याद दिलाता है। मंदि‍र के पूर्ण  अधि‍ष्‍ठापन पर प्राचीन  मूर्तिया के अवशेष  वि‍खरे  पड़े हैं।  इन मूर्ति‍या में वराह, सूर्य , लक्ष्‍मी और महि‍ष्‍मार्दिनी के अंकन है। इस प्रकार के अंकन 10 बीं से 12 बीं  शताब्‍दि‍यों  के मध्‍य प्रचुर मात्रा में कि‍ये  गये।  उपर्युक्‍त कालखण्‍ड में  काल प्रस्‍तर का प्रयोग कि‍या गया जो यहां के  मूर्तिशि‍ल्‍प में भी है।

भारेश्‍वर  मंदि‍र का शि‍खर  भी दुर्ग  स्‍थापत्‍य का अनुपम उदाहरण है।  मंदि‍र का स्‍कन्‍ध भाग अत्‍यन्‍त सुदृढ़ पत्‍थरों  और ईटों  से नि‍र्मि‍त है।  कि‍ले  के ही समान  गुम्‍बज के ठीक  नीचे  कपि‍शीर्ष  बने  हैं।  इनका प्रयोग शत्रु से मोर्चा  लेते  समय बाण  वर्षा  और पत्‍थर  फेंकने के लि‍ये कि‍या जाता था। गुम्‍बज दोहरी  बास्‍तु  शैली में नि‍र्मि‍त  है। गुम्‍बज के शीर्ष  तक पहुंचने के लि‍ये  जटि‍ल शैली  में सीढ़ि‍यों का  नि‍र्माण  कि‍या गया है। शीर्ष  पर तड़ि‍त के स्‍थान  पर पत्‍थर का एक लघु गोल स्‍तम्‍भ है शि‍खर  के बाहरी भाग पर ही मूर्ति शि‍ल्‍प  का अंकन है।  मूर्तिशि‍ल्‍प में हाथी  तथा घड़ि‍याल  जैसी  आकृति‍यॉ है।  एक स्‍थान पर  कच्‍छप  की भी आकृति‍ है। इन प्रमाणों के आधार पर भारेश्‍वर महादेव में शक्‍ि‍तपीठ भी रही  होगी  क्‍योंकि‍ गज का सम्‍बन्‍ध लक्ष्‍मी,घड़ि‍याल का सम्‍बन्‍ध दुर्गा(शेर से पहले घड़ि‍याल ही दुर्गा का वाहन था) तथा कच्‍छप का सम्‍बन्‍ध यमुना  से है। पत्‍थर की मूर्तिशि‍ल्‍प पर सीमेंट का भी प्रयोग है।

मंदि‍र के गर्भगृह में विशाल  शि‍वलि‍गं की स्‍थापना है। गर्भग्रह में अन्‍दर की ओर प्रति‍मा-फलक  स्‍थापना  के लि‍ये  स्‍थान छोड़े गये हैं। शि‍खर  के नीचे प्राय: देवि‍यों  के लि‍ये नवरात्र में चढ़ाये  जाने वाले झण्‍डे, रखें  हुये हैं जो मंदि‍र  की प्रतीकात्‍मक  श्रद्धा की अभि‍व्‍यक्‍ि‍त करते हैं। यहां शि‍वरात्रि‍ के अवसर  पर भरेह के राजवंश की ओर से वि‍शाल मेले का भी  आयोजन होता है।

Share This
Ashish Bajpai
Ashish Bajpaihttps://etawahlive.com/
Content Writer, Call-7017070200, 9412182324, Email-cimtindia@gmail.com, बस एक क्लिक में जाने अपने इटावा को।
spot_img
अपनी खबर या कोई समस्या इटावा लाइव पर निशुल्क प्रकाशित करने हेतु हमें Whatsapp - 7017070200, Email – etawah.news@gmail.com पर जरुर भेंजें।

Read more

वोट करें

हमारा इटावा

ईंटों से नहीं, इष्ट से जुड़ा है इटावा नाम का रहस्य, इष्टिकापुरी है हमारा इतिहास

जब आपसे कोई पूछे कि क्या इटावा का नाम ईंटों के कारण पड़ा, तो आप पूरे आत्मविश्वास के साथ उन्हें बता सकते हैं कि...

शिक्षाविद

डॉ. मंजेश कुमार: बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए समर्पित एक शिक्षाविद

डॉ. मंजेश कुमार का जन्म 15 जुलाई 1990 को हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जनपद इटावा में ही प्राप्त की और उच्च माध्यमिक शिक्षा...

राजनीतिज्ञ

प्रदीप कुमार शर्मा: हिन्दू सेवा समिति के प्रमुख और इटावा के सबसे लोकप्रिय हिंदूवादी राजनीतिज्ञ

प्रदीप कुमार शर्मा का जन्म 20 जून 1987 को इटावा, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री राजेन्द्र कुमार शर्मा और...

प्रशासनिक अधिकारी

जनता के साथ खड़े रहने वाले जिलाधिकारी इटावा शुभ्रांत कुमार शुक्ल(IAS)

शुभ्रांत कुमार शुक्ल का जन्म 1 जनवरी 1970 को उत्तर प्रदेश के बहराइच जनपद में हुआ। प्रारम्भिक जीवन से ही वे अध्ययन में अत्यंत...

प्रमुख संस्थान

इटावा का शीर्ष केमिस्ट्री कोचिंग संस्थान: जीविका केमिस्ट्री क्लासेज

आज के समय में अधिकांश कोचिंग संस्थान पूरी तरह से व्यावसायिक रूप ले चुके हैं। न ही छात्रों की संख्या पर कोई नियंत्रण होता...

चिकित्सक

डॉ. डी. के. दुबे : एक प्रख्यात हड्डी रोग विशेषज्ञ

जनपद इटावा सहित आस-पास के जिलों में हड्डी रोग विशेषज्ञ के रूप में डॉ. डी. के. दुबे का नाम प्रमुखता से लिया जाता है,...

चर्चित व्यक्तिव

इटावा के ‘फैब फोर’: आकर्षक व्यक्तित्व और बेमिसाल प्रशासन का परफेक्ट कॉम्बो

इटावा में इन दिनों चार प्रमुख अधिकारियों की चर्चा जोरों पर है। जिलाधिकारी अवनीश राय, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजय कुमार वर्मा, मुख्य विकास अधिकारी...

पत्रकार

अमित यादव: श्रमजीवी पत्रकारिता के माध्यम से समाज में सेवा और संघर्ष के प्रतीक

अमित यादव, जिन्हें रौली के नाम से भी जाना जाता है, 10 दिसंबर 1980 को भरथना में जन्मे। उनके पिता का नाम प्रेम सिंह...

टॉप आर्टिकल्स

शरद तिवारी की अनमोल सेवा, लावारिस शवों को दिलाई गरिमामयी विदाई

शरद तिवारी: एक समर्पित समाजसेवी इटावा में शरद तिवारी का नाम समाज सेवा और मानवता के प्रति उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए जाना जाता है।...

व्यवसायी

उर्मिला शाक्य: “द लेडी कैफे” की प्रबंधक एवं ब्यूटी वेलनेस सेवाओं की अग्रणी विशेषज्ञ

उर्मिला शाक्य इटावा के बेहतरीन ब्यूटी सलून "The Lady Cafe- Makeup Studio, Salon and Academy"  की प्रबंधक हैं। वह ब्यूटी और वेलनेस सेवाओं में...

समाजसेवी

पूर्व अधिकारी