भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, नगर पालिका परिषद में नेता प्रतिपक्ष एवं उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के जिला उपाध्यक्ष शरद बाजपेयी ने मंगलवार को जिलाधिकारी शुभ्रांत शुक्ला से मुलाकात कर अटल पथ पर लगी पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा की मुद्रा पर कड़ा ऐतराज दर्ज कराया। उन्होंने मांग की कि प्रतिमा को वर्तमान मुद्रा से हटाकर सावधान की मुद्रा में या अभिवादन करते हुए बीस दिसम्बर तक पुनः स्थापित किया जाए। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि प्रतिमा निर्धारित समय सीमा तक नहीं बदली गई, तो वे 21 दिसम्बर को आमरण अनशन पर बैठेंगे।

मीडिया से बातचीत में भाजपा नेता शरद बाजपेयी ने बताया कि वह पिछले डेढ़ से दो वर्षों में प्रतिमा की सही मुद्रा को लेकर लगातार आवेदन दे रहे हैं। वर्ष 2024 से 2025 के बीच वे छह प्रार्थना पत्र जमा करा चुके हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि पहले प्रतिमा को हाथ जोड़ने वाली मुद्रा में लगाया गया था, जिस पर उनके विरोध के बाद उसे हटाया गया, लेकिन अब जो प्रतिमा लगाई गई है, उसमें हाथों को छाती पर रखा गया है, जो अटल जी की पारंपरिक या स्वीकार्य मुद्रा नहीं मानी जाती।
बाजपेयी ने सवाल उठाया—“जब प्रतिमा बदली ही जा रही थी, तो इसे सीधी सावधान मुद्रा में क्यों नहीं लगाया गया? ऐसा कौन है, जिसके चलते अटल जी की प्रतिमा के साथ बार-बार अनुचित व्यवहार किया जा रहा है?” उन्होंने डीएम से यह भी मांग की कि नई प्रतिमा के ऊपर बड़ा छत्र लगाया जाए तथा प्लेटफार्म को बढ़ाया जाए। इसके लिए तीसरा बड़ा घेरा बनाकर उसी पर लाइटें और फव्वारे लगाने की बात कही, ताकि 25 दिसम्बर—अटल जी की जयंती—को प्रतिमा का ‘दिव्य और भव्य अनावरण’ किया जा सके।
भाजपा नेता ने कहा कि भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री के साथ इस प्रकार का व्यवहार “बेहद निंदनीय” है। उन्होंने दोहराया कि वर्तमान मुद्रा वाली प्रतिमा का अनावरण नहीं होना चाहिए और उनकी सभी मांगें 20 दिसम्बर तक किसी भी हाल में पूर्ण होनी चाहिए। अन्यथा, वे 21 दिसम्बर को इटावा वासियों के साथ अटल जी की प्रतिमा के चरणों में आमरण अनशन पर बैठने के लिए बाध्य होंगे।

