Tuesday, December 2, 2025

शरद तिवारी की अनमोल सेवा, लावारिस शवों को दिलाई गरिमामयी विदाई

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शरद तिवारी: एक समर्पित समाजसेवी

इटावा में शरद तिवारी का नाम समाज सेवा और मानवता के प्रति उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए जाना जाता है। उनका जन्म 18 जुलाई 1990 को महेवा में हुआ था। उनके पिता का नाम अवधेश तिवारी और माता का नाम स्वर्गीय सुधा तिवारी है। उन्होंने डबल एम.ए और पीजीडीसीए की उपाधि प्राप्त की है। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने 2019 तक मध्य प्रदेश पुलिस में सेवा दी।

शरद की पत्नी, प्रियंका तिवारी, उनके इस समाजसेवी सफर में एक सशक्त साथी के रूप में हमेशा उनके साथ रही हैं। प्रियंका ने व्यक्तिगत स्तर पर हमेशा शरद का समर्थन किया है। उन्होंने हमेशा इस बात पर विश्वास किया है कि समाज सेवा में समर्पण और परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है।

जीवन की चुनौतियों से प्रेरणा लेते हुए समाजसेवा का पथ

उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब उन्होंने एक सड़क दुर्घटना का सामना किया। इस दुर्घटना ने उनके जीवन की दिशा बदल दी। उस घटना ने उन्हें यह सोचने पर मजबूर किया कि जीवन का असली मकसद क्या है। उन्होंने महसूस किया कि दूसरों की सेवा ही सच्ची संतुष्टि और खुशी का मार्ग है।

यह वही क्षण था जब उन्होंने ‘रक्तदाता समूह’ की स्थापना का निर्णय लिया। इस संगठन का उद्देश्य रक्तदान के माध्यम से उन लोगों की मदद करना है जो जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहे हैं। शरद और उनकी टीम ने 355 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया और 9500 से अधिक बार रक्तदान का आयोजन किया, जिससे कई लोगों की जिंदगियां बचाई जा सकीं।

लावारिस शवों का अंतिम संस्कार: एक मानवीय पहल

शरद तिवारी का यह मानना है कि हर इंसान का सम्मान होना चाहिए, चाहे वह जीवित हो या मृत। यही कारण है कि उन्होंने लावारिस शवों के अंतिम संस्कार की पहल की। ये वो शव होते हैं जिन्हें कोई अपनाने वाला नहीं होता, जिनका कोई परिवार या दोस्त अंतिम संस्कार के लिए आगे नहीं आता। शरद ने इन बेसहारा शवों को गरिमा और सम्मान देने का कार्य किया है।

इस चुनौतीपूर्ण कार्य को करते समय, शरद और उनकी टीम ने सुनिश्चित किया कि हर शव को धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम विदाई दी जाए। उन्होंने विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों के अनुसार अंतिम संस्कार किए, ताकि शवों को उनकी जाति या धर्म के अनुसार सम्मान मिल सके। शरद की यह पहल समाज में एक सकारात्मक संदेश देने का काम करती है कि हर व्यक्ति को उसकी मृत्यु के बाद गरिमापूर्ण अंतिम विदाई मिलनी चाहिए।

शरद तिवारी का जीवन हमें सिखाता है कि विपरीत परिस्थितियाँ भी हमें अपने वास्तविक उद्देश्य की ओर ले जा सकती हैं। उन्होंने अपनी व्यक्तिगत त्रासदी को समाज सेवा के एक महान कार्य में बदल दिया। उनके कार्य हमें यह बताते हैं कि सच्चा सुख और संतोष दूसरों की सेवा में है।

सेवा और समर्पण के प्रतीक

उनका उदाहरण हमें यह सिखाता है कि हमारे जीवन की कठिनाइयाँ हमें रोक नहीं सकतीं, बल्कि हमें और अधिक मजबूत बना सकती हैं। शरद तिवारी का जीवन इस बात का प्रमाण है कि समाज के लिए कुछ करने का संकल्प हो, तो कोई भी बाधा हमें नहीं रोक सकती। उनका योगदान एक सच्चे समाजसेवी की मिसाल है, जो सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत है।

यह समूह अब एक ऐसी संस्था के रूप में स्थापित हो गया है जो जरूरतमंदों के लिए जीवनरेखा साबित हो रहा है। शरद का लक्ष्य है कि इस संस्था के माध्यम से हर जरूरतमंद तक पहुंचा जा सके और उन्हें सहायता प्रदान की जा सके। उनकी यह यात्रा आसान नहीं रही, लेकिन उन्होंने अपने संकल्प और हिम्मत से हर चुनौती को पार किया।

शरद तिवारी का लक्ष्य है कि वह इस पहल को और भी व्यापक स्तर पर ले जाएं। वह चाहते हैं कि उनकी संस्था ‘रक्तदाता समूह’ जनपद इटावा में कही भी लावारिस शवों की देखभाल और सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार का कार्य करे। इसके लिए वे अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने और समाज में जागरूकता फैलाने के लिए कार्यरत हैं।

शरद तिवारी से संपर्क करें –

उनसे संपर्क करने के लिए आप उन्हें उनके ईमेल sharadtiwari509@yahoo.in पर या मोबाइल नंबर 8630128616 पर संपर्क कर सकते हैं। उनका जीवन और सेवा का जज्बा हम सभी के लिए एक प्रेरणा है और यह दर्शाता है कि सच्चे अर्थों में समाज सेवा कैसे की जाती है। उनका समर्पण और मानवता के प्रति प्रेम हमें यह संदेश देता है कि जीवन को दूसरों की सेवा में समर्पित करना ही सच्चा जीवन है।

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Ashish Bajpai
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