इटावा, 5 दिसंबर। अन्ना हज़ारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में प्रथम पंक्ति के आंदोलनकारी रहे प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता विनोद चौहान (55) अब नही रहे। मुंह के छालों के लंबे इलाज के बावजूद उन्हे बचाया नहीं जा सका। श्री यमुना तट पर उनकी अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में लोगों ने उनको श्रद्धांजलि दी।
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से इतिहास राजनीतिशास्त्र में परास्नातक विनोद जी चंद्रपुरा एकदिल लखना नहर के निवासी थे, जो हर्षवर्धन होटल के सामने पांडेय ट्रांसपोर्ट वाली सड़क पर अग्रजों के साथ रह रहे थे। वे कर्तव्य एवम अधिकार एक जनांदोलन नामक संगठन सहित अनेक सस्थाओं के साथ जनहित के मुद्दों पर क्रांतिकारी तेवरों के लिए जाने जाते थे।
किसानों मजदूरों आदि की समस्याओं के लिए आए दिन उन्हे कचहरी में ज्ञापन देते और जनहित के प्रश्नों पर अधिकारियों से बहस करते और लोगों को अधिकार दिलाते हुए देखा जाता था। उनकी ईमानदारी और संघर्षशीलता के कारण वे समस्त पत्रकारिता वर्ग में भी खासे लोकप्रिय रहे। उनके आंदोलन के साथियों गणेश ज्ञानार्थी, डा आशीष कुमार, दीपक राज, वीरू कठेरिया आदि सहित पूर्व नगर पालिका परिषद अध्यक्ष कुलदीप कुमार गुप्ता संटू आदि ने उनकी सामाजिक सेवाओं का स्मरण करते हुए सबने उनके योगदान को भूरि भूरि प्रशंसा की। उनकी पत्नी और एक बेटी ग्वालियर में निवासित है।

