भरथना। पीपरीपुर गांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन कथा वाचक पंडित अवधेश द्विवेदी ने सुदामा चरित्र और सुखदेव विदाई का भावपूर्ण वर्णन किया। उन्होंने श्रद्धालुओं को मित्रता का सच्चा अर्थ समझाते हुए कहा कि मित्रता में धन-दौलत नहीं, बल्कि स्नेह और विश्वास महत्वपूर्ण होता है।
उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। जब सुदामा अपनी गरीबी में भी श्रीकृष्ण से कुछ मांगने नहीं गए, तब स्वयं भगवान ने उनकी दशा देखकर उन्हें गले लगाया और अपने राजसिंहासन पर बैठाकर सम्मान दिया। कथा वाचक ने बताया कि सच्चे मित्र हमेशा एक-दूसरे के पूरक होते हैं और बिना किसी स्वार्थ के मित्रता निभाते हैं।
कथा के दौरान श्रद्धालुओं ने सुदामा चरित्र को बड़े भाव-विभोर होकर सुना। कथा स्थल पर भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी और “श्रीकृष्ण-सुदामा” के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। कथा के समापन पर हवन-पूजन और प्रसाद वितरण किया गया। श्रद्धालुओं ने पंडित अवधेश द्विवेदी के प्रवचनों की सराहना करते हुए कहा कि सुदामा चरित्र हमें सच्ची मित्रता और त्याग का संदेश देता है। आयोजकों ने सभी भक्तों को धन्यवाद दिया और भविष्य में भी ऐसे धार्मिक आयोजन करने का संकल्प लिया।