गुरुद्वारा श्री तेग बहादुर साहिब इटावा में श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी की 350वीं शहीदी शताब्दी के पावन अवसर पर 19 से 25 नवंबर तक विशाल और भक्तिमय समागम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष तरन पाल सिंह कालरा ने कहा कि धर्म, स्वतंत्रता और मानवता की रक्षा हेतु गुरु तेग बहादुर साहिब का पवित्र शीश बलिदान संपूर्ण विश्व के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने सत्य, न्याय और संस्कृति की रक्षा के लिए जो मार्ग दिखाया, वह भारत की आत्मा में सदैव अमर रहेगा।
अध्यक्ष कालरा ने बताया कि गुरु साहिब ने जबरन धर्मांतरण के विरोध में खड़े होकर सनातन और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा की। उन्होंने जातिगत भेदभाव, अंधविश्वास और छुआछूत के खिलाफ संघर्षकर मानवता, करुणा और स्वतंत्रता का संदेश दिया। उनका जीवन यह सिखाता है कि दूसरों के अधिकारों और सत्य की रक्षा करना ही सच्चा मानव–धर्म है।
समागम के दौरान बच्चों, महिलाओं और पुरुषों ने शहीदी दिवस पर कविताएं, शब्द गायन और कीर्तन प्रस्तुत कर गुरु साहिब के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त की। मंगलवार को शहीदी दिवस के दिन सुबह से ही गुरुद्वारा परिसर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। संगत ने गुरु साहिब के चरणों में मत्था टेककर भारत की संस्कृति, धर्म और न्याय की रक्षा हेतु दिए गए उनके सर्वोच्च बलिदान को नमन किया।
इस दौरान दो अखंड पाठों की समाप्ति के साथ-साथ 35 श्रद्धालु परिवारों के घरों में संपन्न किए गए गुरु ग्रंथ साहिब के सहज पाठों की समाप्ति भी की गई। शहीदी दिवस पर करीब दो घंटे तक गुरुवाणी कीर्तन के पश्चात समूह जनमानस की भलाई और लोक कल्याण के लिए Ardas की गई।
कार्यक्रम समाप्ति के बाद श्रद्धालुओं ने गुरुद्वारा साहिब द्वारा तैयार किया गया गुरु का लंगर प्रसाद श्रद्धा और भावनाओं के साथ ग्रहण किया। गुरुद्वारा कमेटी ने सहज पाठ और लंगर सेवा में सहयोग करने वाले सभी 35 परिवारों का हृदय से आभार व्यक्त किया।

