बकेवर:- जनता कॉलेज, बकेवर, इटावा में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के तत्वावधान में राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ की 150वीं वर्षगांठ पर एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य डॉ. राजेश किशोर त्रिपाठी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रगीत के इतिहास, महत्व और प्रेरणास्रोत के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि ‘वंदे मातरम्’ की रचना 1875 में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने की थी, जो बाद में उनकी प्रसिद्ध कृति ‘आनंदमठ’ में प्रकाशित हुई। यह गीत भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देशभक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना। 1905 के बंग-भंग आंदोलन से लेकर आज़ादी के अंतिम क्षणों तक, इस गीत ने भारतवासियों में एकता, साहस और देशभक्ति की भावना का संचार किया।

उन्होंने कहा कि “वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि यह हमारी संस्कृति, मातृभूमि और राष्ट्रगौरव का प्रतीक है।” कार्यक्रम अधिकारी डॉ. मनोज कुमार यादव ने अपने उद्बोधन में कहा कि वंदे मातरम् शब्दों में वह शक्ति निहित है जिसने एक पूरे राष्ट्र को आज़ादी की राह पर अग्रसर किया। आज के युवा पीढ़ी को चाहिए कि वे इस गीत की भावना को अपने जीवन में आत्मसात करें और राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दें।
इस अवसर पर कॉलेज के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो.ए. के. पांडेय, प्रो. पी. के. राजपूत, प्रो. एम. पी. सिंह, प्रो. ललित गुप्ता सहित विभिन्न विभागों के शिक्षकगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम में कुल 86 एनएसएस स्वयंसेवकों ने सक्रिय रूप से सहभागिता की। कार्यक्रम की शुरुआत ‘वंदे मातरम्’ के सामूहिक गायन से हुई, जिसके बाद विद्यार्थियों ने देशभक्ति गीतों और कविताओं की सुंदर प्रस्तुतियाँ दीं। पूरे कार्यक्रम में देशभक्ति और एकता का माहौल व्याप्त रहा।
प्राचार्य डॉ. त्रिपाठी ने अंत में कहा कि हम सबको गर्व होना चाहिए कि हमारा राष्ट्रगीत हमें हमारी मातृभूमि की स्मृति और शक्ति की याद दिलाता है। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ मनोज यादव द्वारा किया गया और अंत में राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

