रिजर्व पुलिस लाइन सभागार कक्ष में पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश के निर्देशन में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बृजेश कुमार श्रीवास्तव और समेकित शिक्षा, बेसिक शिक्षा विभाग के तत्वाधान में आर0पी0डब्ल्यू0डी0 एक्ट 2016 एवं अंतर्राष्ट्रीय आदेशों के तहत अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस पर एक दिवसीय सांकेतिक भाषा प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि अपर पुलिस अधीक्षक अपराध सुबोध गौतम ने माॅ सरस्वती की मूर्ति पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इस अवसर पर सुभाष चन्द्र यादव (आर0आई0 पुलिस लाइन), राजू भदौरिया (आर0टी0सी0 प्रभारी), समस्त महिला आरक्षी, जिला समन्वयक, अर्चना सिन्हा एवं प्रहलाद कुमार (रिसोर्स टीचर) सहित सभी स्पेशल एजूकेटर्स उपस्थित रहे।
जनपद इटावा के समस्त मूकबधिर दिव्यांगजनों ने इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। मुख्य वक्ता के रूप में अफजल राजा (अध्यक्ष एवं महासचिव, मूकबधिर दिव्यांग इंडिको एयरलाइन), इंटरप्रेटर चंचल कुमार, पिंकी अहमद, चंदन सिंह (उपाध्यक्ष), बीटू यादव, मयंक तिवारी, सीटू यादव, सुशील यादव और सौरभ यादव ने उपस्थित सभी अतिथियों, दिव्यांगजनों, महिला आरक्षियों और अभिभावकों को बेसिक साइन लैंग्वेज के विषय में जानकारी दी।
कार्यक्रम में उपस्थित सभी पुलिस अधिकारी और कर्मचारी सक्रिय रूप से भाग लिए और सांकेतिक भाषा के महत्व को समझा। यह पहल बधिर समुदाय और पुलिस विभाग के बीच संवाद और समझ को मजबूत करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम मानी जा रही है। यह कार्यक्रम अखिल भारतीय बधिर महासंघ (ए0आई0एफ0डी0), नई दिल्ली और विश्व बधिर महासंघ (डब्ल्यू0एफ0डी0), फिनलैंड से संबद्ध अखिल उत्तर प्रदेश बधिर संघ (ए0यू0पी0ए0डी0) के सहयोग से आयोजित किया गया, जिसमें विशेष सहयोग एसएसपी इटावा का रहा।
कार्यक्रम में उपस्थित सभी प्रतिभागियों, विशेषकर महिला आरक्षियों को अंग्रेजी वर्णमाला के सांकेतिक भाषा पम्पलेट प्रदान किए गए।
प्रथम कड़ी में अर्चना सिन्हा ने उपस्थित अधिकारियों को जनपद में अध्ययनरत दिव्यांग बच्चों की जानकारी देते हुए आर0पी0डब्ल्यू0डी0 एक्ट 2016 में वर्णित 21 प्रकार के दिव्यांगजनों के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही समावेशी शिक्षा योजना के तहत संचालित गतिविधियों और जागरूकता हेतु 6 प्रकार के पोस्टर वितरित किए गए।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य पुलिस विभाग में सांकेतिक भाषाओं का बेसिक प्रयोग सीखना और मूकबधिर दिव्यांगजनों के साथ संवाद स्थापित करना रहा, जिससे अपराध और समाजिक मामलों में उनकी भागीदारी और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।