आशीष राजपूत का जन्म 7 अप्रैल 1969 को जनपद इटावा के प्रतापनेर क्षेत्र के चौगान गांव में हुआ। यह क्षेत्र अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लिए जाना जाता है। बचपन से ही ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े आशीष राजपूत ने मेहनत, संघर्ष और ईमानदारी के मूल्य सीखे। उनके पिता स्वर्गीय लखन सिंह राजपूत एक उच्च विचारधारा वाले व्यक्ति थे, जिनका पूरा जीवन समाज और परिवार को समर्पित रहा। वहीं उनकी मां स्वर्गीय मीरा राजपूत ने बच्चों के जीवन में संस्कार, धर्म और नैतिकता का बीजारोपण किया।
बचपन में आशीष राजपूत साधारण जीवनशैली में पले-बढ़े, लेकिन उनके भीतर नेतृत्व और समाजसेवा की झलक प्रारंभ से ही दिखती थी। परिवार का माहौल हमेशा विद्या, सेवा और सामाजिक सरोकारों से भरा हुआ रहा। आशीष राजपूत के भाई राजेश राजपूत, जो वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और राजेश राजपूत की पत्नी नीता राजपूत शिक्षा के क्षेत्र से जुड़ी हैं और वर्तमान में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।
उनका वैवाहिक जीवन भी उतना ही प्रेरणादायी है। उनकी पत्नी सुशील राजपूत न केवल घरेलू जिम्मेदारियों को निभाने में अग्रणी रही हैं बल्कि सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में भी सक्रिय भूमिका निभाती रही हैं। वे लोधेश्वर ईट भट्टा की डायरेक्टर हैं और बुलाकीपुर लुहन्ना से निर्विरोध क्षेत्र पंचायत सदस्य चुनी गईं, जो यह दर्शाता है कि जनता के बीच उनका भी गहरा विश्वास और सम्मान है।
आशीष राजपूत के बड़े पुत्र डॉ. शिवम राजपूत ने अपनी मेहनत और लगन से चिकित्सा क्षेत्र में नाम कमाया। MBBS की पढ़ाई पूरी कर उन्होंने जनपद में प्रतिष्ठित डॉक्टर के रूप में पहचान बनाई। उनकी पत्नी डॉ. अनामिका राजपूत, जो MBBS और MD डिग्रीधारी हैं, चिकित्सा क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाएं दे रही हैं। वे दोनों मिलकर इटावा में शिवम हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर का संचालन करते हैं और हजारों मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं।
उनके छोटे बेटे सौरभ राजपूत ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और तकनीकी क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल की। वर्तमान में वे शिवम हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। उनके प्रबंधन कौशल ने अस्पताल को आधुनिक तकनीकी सुविधाओं से सुसज्जित करने और संचालन को सुचारु बनाने में मदद की है। छोटी बहू राजकुमारी राजपूत भारत सरकार के श्रम मंत्रालय में उच्च पद पर कार्यरत हैं।
आशीष राजपूत का छात्र जीवन भी बेहद सक्रिय रहा। वे आईटीआई छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए और छात्रहितों की आवाज बुलंद की। इस जिम्मेदारी को उन्होंने पूरी निष्ठा से निभाया और छात्रों के अधिकारों और सुविधाओं के लिए संघर्ष किया। बाद में सरकार ने उन्हें आईटीआई समिति का अध्यक्ष बनाया, जिसने उनके नेतृत्व कौशल और संघर्ष क्षमता को और भी उजागर किया।
उनकी पहचान केवल शिक्षा और संगठन तक सीमित नहीं रही। वे सैफई महोत्सव समिति के सदस्य बने, जहां उन्होंने सांस्कृतिक कार्यक्रमों और सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से क्षेत्र की पहचान को राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने में योगदान दिया। इसके साथ ही वे भट्टा संघ की संघर्ष समिति के अध्यक्ष भी बने।
राजनीतिक यात्रा की शुरुआत समाजवादी पार्टी के युवा मामलों के प्रभारी के रूप में हुई। इस दौरान उन्होंने युवाओं को पार्टी की नीतियों और विचारधारा से जोड़ने का काम किया। इसके बाद वे पार्टी के जिला सचिव बने और संगठन को मजबूती देने में जुटे रहे। उनकी मेहनत और ईमानदारी का ही परिणाम था कि वर्ष 2005 में वे जिला पंचायत सदस्य चुने गए।

उनकी लोकप्रियता लगातार बढ़ती रही और संगठन ने उन्हें लगातार तीन बार समाजवादी पार्टी का जिला उपाध्यक्ष नियुक्त किया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने न केवल पार्टी संगठन को मजबूत किया बल्कि जनपद के कोने-कोने में जाकर जनता की समस्याओं को सुना और उनके समाधान के लिए संघर्ष किया। वे हमेशा से आमजन के बीच आसानी से उपलब्ध रहने वाले नेता रहे।
वर्तमान में आशीष राजपूत शिवम हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, कचोरा रोड, इटावा के अध्यक्ष हैं। इस जिम्मेदारी को उन्होंने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और विस्तार का माध्यम बनाया। उनके नेतृत्व में अस्पताल में आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हुईं, जिससे गरीब और जरूरतमंद मरीजों को राहत मिली।
आशीष राजपूत समाजवादी पार्टी की नीतियों और आदर्शों के प्रति आज भी उतने ही समर्पित हैं, जितने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत में थे। वे लगातार पार्टी के कार्यक्रमों और अभियानों में सक्रिय रहते हैं। उनकी गिनती इटावा जनपद के सबसे मजबूत राजपूत नेताओं में होती है, जिन्होंने संगठन के साथ-साथ जनता का भी अटूट विश्वास जीता है।
उनकी पहचान केवल एक राजनेता तक सीमित नहीं है, बल्कि वे एक समाजसेवी और जनपद के प्रमुख व्यवसायी के रूप में भी सम्मानित हैं। अपने माता-पिता से प्राप्त संस्कारों और परिवार के सहयोग से वे हमेशा हर वर्ग के लिए सुलभ और सहायक बने रहते हैं। उनकी यही सरलता और सहजता उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बनाती है।
इटावा जनपद की राजनीति में जब भी समाजवादी पार्टी के निष्ठावान और समर्पित कार्यकर्ताओं का नाम लिया जाता है, तो आशीष राजपूत का नाम प्रथम पंक्ति में आता है। उन्होंने राजनीति को जनसेवा का माध्यम बनाया और जनता को यह विश्वास दिलाया कि नेता केवल सत्ता तक सीमित नहीं बल्कि सेवा का पर्याय हो सकता है।
यह बात सच है कि संघर्ष और निष्ठा से कोई भी व्यक्ति समाज में सम्मान और पहचान अर्जित कर सकता है। आज आशीष राजपूत राजनीति, स्वास्थ्य और समाज तीनों क्षेत्रों में सक्रिय रहकर आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं। आशीष राजपूत का मानना है कि सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है और समाज की भलाई ही जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य होना चाहिए।