होली के महापर्व पर नगर के प्रमुख बाजार बालूगंज, सब्जी मंडी, मोतीगंज में खासा उत्साह देखने को मिला। रंगों के इस त्यौहार पर खरीददारों की भीड़ कई दिनों पूर्व से ही जुटने लगी और अंतिम दिन तक बाजारों में रौनक बनी रही।
ग्राहकों ने रंग, गुलाल, अबीर, पिचकारी आदि के साथ-साथ गन्ने की भी जमकर खरीदारी की। सड़क किनारे लगी रंग और गन्ने की दुकानों पर ग्राहकों की भारी भीड़ उमड़ी रही। खासकर गन्ना व्यापारी द्वारा 10 रुपये प्रति गन्ना का खुला रेट घोषित करने के बाद लोगों में गन्ना खरीदने की दिलचस्पी और बढ़ गई।
वहीं, रंगों की दुकान लगाने वाले व्यापारी रोहित ने बताया कि होली का त्योहार अब पहले जैसा व्यापक नहीं रहा। पहले जहां यह पर्व कई दिनों तक मनाया जाता था, अब यह मात्र औपचारिकता बनकर रह गया है। उन्होंने यह भी कहा कि अब लोगों को रंगों से एलर्जी होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिसके कारण रंगों की बिक्री में गिरावट आई है। अब पहले जैसा माहौल बाजारों में नहीं दिखता, क्योंकि लोग रंग खेलने से बचने लगे हैं और अधिकतर गुलाल व फूलों से होली मना रहे हैं।
यह बदलाव शहर के युवाओं में भी देखा जा सकता है, जो अब पहले जैसी उमंग से होली का आनंद नहीं ले रहे हैं। कोली समुदाय के लोगों का कहना है कि होली उनके लिए एक महत्वपूर्ण पर्व है, लेकिन अब इसका माहौल पहले जैसा नहीं रहा। रंग लगाने पर झगड़े की नौबत तक आ जाती है, जिससे लोग अब इस परंपरा से कतराने लगे हैं।