भागवत कथा से जीवन में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण से व्यक्ति के विचारों में बदलाव होने के साथ-साथ उसका आचरण भी परिवर्तित हो जाता है।

उक्त बात क्षेत्र के ग्राम रमायन स्थित महामंशापूर्ण गंगाधर विश्वनाथ धाम प्राचीन शिव मन्दिर पर महाशिवरात्रि पर्व के उपलक्ष्य में चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दौरान कथा का श्रवण कराते हुए सरस कथावाचक आचार्य पं0 रामबाबू द्विवेदी मयंक महाराज ने कही। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण-सुदामा की लीला का वर्णन करते हुए कहा कि जिसके पास प्रेमधन है, वह कभी निर्धन नहीं हो सकता। मित्रता में राजा और रंक सभी एक समान हैं, इसमें कोई भेदभाव नहीं होता। उन्होंने कथा सुनाते हुए कहा कि सुदामा का नाम सुनते ही द्वारिकाधीश नंगे पांव मित्र की अगवानी करने के लिए राजमहल के द्वार पर पहुँच गये थे। यह दृश्य देखकर सभी आश्चर्यचकित थे, आखिर सुदामा में ऐसा क्या है, कि भगवान दौडे चले आये। बस यही सच्ची मित्रता का प्रतीक है। साथ ही कथावाचक श्री मयंक ने अन्य प्रसंगों का भी मार्मिक वर्णन किया। इस मौके पर यज्ञाचार्य सर्वेश तिवारी, धनंजय तिवारी, परीक्षित विनोद कुमार सविता, उर्मिला देवी, रजनीश उपाध्याय, सोनम उपाध्याय, अरविन्द कुमार पोरवाल, अनिल कुमार श्रीवास्तव, गौरव मिश्रा, रमेश चन्द्र शाक्य, राजेन्द्र सिंह, रामनरेश पोरवाल सहित कई गणमान्यजनों के साथ महिला-पुरूष श्रद्धालुओं की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

