भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संगठन पर्व के तहत सदस्यता अभियान और बूथ कमेटियों के गठन के बाद अब मंडल और जिला अध्यक्षों के चुनाव कराए जा रहे हैं। 15 दिसंबर तक मंडल अध्यक्षों और 30 दिसंबर तक जिला अध्यक्षों के चुनाव संपन्न होने हैं। चुनाव प्रक्रिया को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए प्रदेश के छह क्षेत्रों—पश्चिम, बृज, कानपुर, अवध, काशी और गोरखपुर में कार्यशालाओं का आयोजन किया गया था।
भाजपा ने यह स्पष्ट किया है कि मंडल और जिला अध्यक्ष के पदों पर पार्टी के कर्मठ और पुराने कार्यकर्ताओं को ही चुना जाएगा। इसके लिए कड़ी अहर्ताएं तय की गई हैं: इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हाल ही में दूसरे दलों से आए दागी संगठन का हिस्सा न बन सकें। 2019 और 2024 में सक्रिय सदस्य होने की अनिवार्यता भी इसी दिशा में कदम है।
इटावा जिले के लखना मंडल में मंडल अध्यक्ष के चुनाव में विवाद सामने आया है। यहां एक आवेदक, जो पहले से सजा प्राप्त है, ने भी आवेदन किया है। इस आवेदक को 1 जून 2009 को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत 4 साल की कारावास और ₹2000 के अर्थदंड से दंडित किया गया था। लखना मंडल से कुल 12 आवेदक सामने आए हैं, जिनमें प्रमुख नाम हैं: इनमें से एक आवेदक का विवादित अतीत अब जिला संगठन चुनाव अधिकारी और पर्यवेक्षक के विवेक पर निर्भर करता है।
भाजपा संगठन के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कानपुर बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए थे कि दूसरे दलों से हाल ही में आए दागी व्यक्ति मंडल और जिला अध्यक्ष पद के लिए आवेदन नहीं कर सकते। लखना मंडल में इस निर्देश के उल्लंघन से संगठन में नाराजगी है।
यदि पर्यवेक्षक विवादित आवेदक के आवेदन को मंजूरी देते हैं, तो पार्टी के वरिष्ठ अधिकारियों तक इसकी शिकायत पहुंचाई जा सकती है। कुछ नेताओं ने नाम न छापने की शर्त पर यह भी बताया कि यदि अनियमितताएं हुईं, तो संगठन स्तर पर कड़े कदम उठाए जाएंगे।
भाजपा संगठन पर्व के तहत अपनी नीतियों और आचार संहिता को लागू करने की कोशिश में है। लेकिन लखना मंडल में सामने आए मामले ने पार्टी के आंतरिक अनुशासन और पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं। अब यह देखना होगा कि पर्यवेक्षक और चुनाव अधिकारी किस तरह से इस विवाद का समाधान करते हैं।