भरथना (रिपोर्ट- तनुज श्रीवास्तव, 9720063658)- विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों के कारण आज पर्यावरण की स्थिति अत्यन्त दयनीय होती जा रही है। आज 5 जून पर्यावरण दिवस के अवसर पर स्वयं के साथ-साथ दूसरों को भी जागरूक कर प्रदूषण पर नियंत्रण लगाते हुए अधिक से अधिक पौधरोपण करने हेतु अपने-अपने विचारों के माध्यम से लोगों का ध्यान आकृष्ट कराया।
मनोज सक्सेना ने कहा कि पर्यावरण को सुरक्षात्मक स्वरूप प्रदान करना हमारा नैतिक दायित्व है। पौधरोपण की अपेक्षा दिनोंदिन बढने वाला वृक्षों का कटान संतुलित पर्यावरण के लिए बेहद संकट का विषय है। जहाँ तक हो सके, हरसम्भव प्रयास करें कि हमसे ऐसा कोई कार्य न हो, जिससे पर्यावरण पर कोई नकारात्मक प्रभाव पडे। क्योंकि जब पर्यावरण ही संक्रामकता व प्रदूषण की जंजीरों में जकडा होगा, तो समाज में निवास करने वाले मनुष्य, जीव-जन्तुओं, पशु-पक्षियों का सुरक्षित जीवनयापन करना कैसे सम्भव होगा?
कृष्णअवतार यादव (शेरू) ने कहा कि वृक्ष ही एक ऐसी अमूल्य व अतुल्नीय सम्पदा है, जो पर्यावरण में फैले विषैलेपन को समाप्त कर उसे शुद्धता के स्वरूप में परिवर्तित कर सकता है। इसलिए ‘‘वृक्ष धरा का भूषण है, करते दूर प्रदूषण हैं‘‘ की सोच के साथ कम से कम एक पौधे का रोपण करने का संकल्प कर पर्यावरण में अमृत घोल उसके सन्तुलन में सहभागी बनें।
पुनीत पोरवाल का कहना है कि आज हम साँस में स्वच्छ हवा तो लेना चाहते हैं, लेकिन पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति सजग नहीं होना चाहते। जल, वायु, ध्वनि आदि किसी न किसी प्रदूषण को उत्पन्न कर हम पर्यावरण पर गहरा आघात कर रहे हैं। जब तक हम इस प्रकार के प्रदूषण पर विराम नहीं लगायेगें, तब तक स्वच्छ पर्यावरण की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
शरद श्रीवास्तव (मोनू) ने कहा कि पहले की तुलना में आज नई-नई बीमारियां जन्म ले रही हैं, इसका सीधा सा कारण है कि खानपान में मिलावट के साथ-साथ हम शुद्ध हवा-जल का भी सेवन नहीं कर पा रहे हैं, जो हमें शुद्ध पर्यावरण से ही प्राप्त हो सकता है। इसलिए संकल्पित हों, कि पर्यावरण को शुद्धता व सुरक्षा प्रदान करने के लिए स्वयं के साथ-साथ दूसरों को भी इस मुहिम से जोडेगें। फोटो-