Sunday, February 16, 2025

ओम ब्रह्मण महासभा ने सूरज तिवारी के माता पिता को सम्मानित किया

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ओम ब्राह्मण महासभा ने यूपीएससी में चयनित सूरज तिवारी के माता पिता को सम्मानित किया (डॉ.सुशील सम्राट) इटावा, ओम ब्राह्मण महासभा ने यूपीएससी में चयनित सूरज तिवारी के माता पिता को सम्मानित किया l अदम्य साहस की प्रतिमूर्ति विशाल दृणनिश्चयी विषम से विषम परिस्थितियों में एक योद्धा की भांति निरंतर जीत होने तक युद्ध जारी रखने वाला अपराजेय योद्धा कलयुग के श्रवण कुमार के माता पिता का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पंडित मेजर पाण्डेय मेला मालिक परशूपुरा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पंडित दीपक त्रिपाठी प्रदेश महासचिव, पंडित अविनाश मोनू दीक्षित कोषाध्यक्ष, पंडित राहुल दीक्षित के नेतृत्व में ओम ब्राह्मण महासभा ने गाँव धनराजपुर ( कुरावली) जाकर सम्मान किया l यूपीएससी पहले ही प्रयास में सफलता का परिचम लहराने वाले श्रवण कुमार के माता एवं पिता के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ l पंडित राजेश कुमार तिवारी एवं श्रीमती आशा तिवारी के पुत्र पंडित सूरज तिवारी जो बचपन से ही बहुत बुद्धिमान एवं साहसी बालक है अपने घर की जिम्मेदारी बचपन से ही ओढ़ने की ललक में धरनाजपुर कुरावली जनपद मैनपुरी में बालक सूरज कथा आदि पढ़कर अपना पांडित्य कर्म भी निभाता और बेटा होने का फर्ज भी। पंडित राजेश कुमार तिवारी की पारिवारिक स्थिति में वह चार भाई थे उनके पिता स्वर्गीय श्रीकृष्ण तिवारी से विरासत में मिला टेलरिंग का कार्य से उन्होंने अपनी जीविका चलाई तथा बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया । पंडित राजेश कुमार तिवारी के तीन पुत्र व एक पुत्री ने जन्म लिया सबसे बड़े बेटे का नाम पंडित राहुल तिवारी दूसरे बेटे का नाम पंडित सूरज तिवारी व छोटे का पंडित राघव तिवारी बेटी सृष्टि तिवारी है । बड़े बेटे राहुल तिवारी की शादी हो चुकी थी छोटा बेटा पढ़ाई के साथ साथ छोटी मोटी नौकरी करने दिल्ली पहुंच गया पंडित राजेश तिवारी पर दुखों का पहाड़ टूटा वर्ष 2017 में जब मझला बेटा सूरज दिल्ली से कुरावली मैनपुरी अपने घर ट्रैन से आ रहा था तो उसे कुछ चोर उचक्कों ने ट्रेन से धक्का दे दिया सूरज दूसरे ट्रैक पर आ रही ट्रेन की चपेट में आ गया जिससे उसका एक पैर व एक हाथ कट कर अलग हो गया घटना की जानकारी होने पर आरपीएफ ने एम्स में भर्ती कराया जहां उपचार के दौरान सूरज का दूसरा पैर भी काटना पड़ा तथा बाएं हाथ की दो अंगुलियां भी कट चुकी थी तीन महीने बाद सूरज घर लौटे तो बड़े भाई की आकस्मिक मृत्यु ने उन्हें व उनके परिवार पर घोर संकट में ला दिया लेकिन जिसका नाम सूरज हो वह वह कैसे डूब सकता था उसने निश्चय किया अब कुछ बड़ा करना होगा और पढ़ना शुरू किया जेएनयू में दाखिला लेने में सफल हुआ और आज वह सूरज पूरे देश में चमक रहा है। सूरज ने जेएनयू का सम्मान भी बढ़ा दिया जिसकी पहचान देश विरोधी गतिविधियों में होती रही हो उसकी पहचान आज सूरज जैसे साहसी व मेधावी छात्र से हो रही है । माता पिता का आशीर्वाद लिया मिठाई खिलाई और विदाई ली।

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