इटावा में भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी की जन्म शताब्दी के अवसर पर एक भावनात्मक और ऐतिहासिक माहौल देखने को मिला। वरिष्ठ भाजपा नेता एवं वरिष्ठ सभासद शरद बाजपेयी ने अटल जी की जन्म जयंती पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई। इस अवसर पर वे पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ अटल पथ पहुंचे और अटल जी को नमन करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शरद बाजपेयी ने कहा कि अटल जी केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि हमारे आदर्श और भारत की आत्मा थे। वे भारतीय राजनीति के अजातशत्रु, शिखर पुरुष और ओजस्वी वक्ता रहे। अटल जी ने राजनीति को संस्कार, शुचिता और मर्यादा दी। उन्होंने दुख के साथ कहा कि आज की राजनीति में न संस्कार बचे हैं और न ही आदर्श, ऐसे दौर में अटल जी का व्यक्तित्व और भी अधिक प्रेरणादायक बन जाता है।
शरद बाजपेयी ने अटल पथ से जुड़े अपने लंबे संघर्ष को याद करते हुए जिम्मेदार लोगो की भूमिका पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि अटल पथ पर अटल जी की प्रतिमा का अनावरण तो किया गया, लेकिन ये लोग शुरुआत से ही इस स्थल के प्रति लापरवाह रहा। उन्होंने बताया कि उनके विरोध के बाद ही हाथ जोड़कर स्थापित की गई प्रतिमा को हटाया गया। लगभग दो वर्षों तक वे लगातार प्रयास करते रहे, मांगें उठाते रहे, लेकिन तब तक ध्यान नहीं दिया, जब तक उन्हें आमरण अनशन का रास्ता नहीं अपनाना पड़ा।
उन्होंने कहा कि आमरण अनशन के बाद जिम्मेदार लोग जागें, जिसका असर आज दिखाई भी दे रहा है। शरद बाजपेयी ने बताया कि उन्हें लिखित आश्वासन दिए गए हैं, लेकिन अब मांग है कि इन आश्वासनों को जमीन पर उतारा जाए। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि एक महीने के भीतर अटल पथ पर लाइटें लगाई जाएं, फब्बारे चालू किए जाएं, प्रतिमा के ऊपर छत्र का निर्माण हो और प्लेटफॉर्म को चौड़ा किया जाए।

