भरथना- देश के प्रमुख जननेता, सीपीएम महासचिव पूर्व सांसद सीताराम येचुरी के पहले स्मृति दिवस पर आज अवध गार्डन में एक सेमिनार का आयोजन किया गया। ‘‘संवैधानिक मूल्यों पर हमला और हमारे दायित्व‘‘ विषय पर हुए इस सेमिनार में वक्ताओं ने मौजूदा हालात की विशेषताओं और उनके कारणों पर विस्तार से चर्चा की। उनसे बाहर आने के बारे में विचार विमर्श किया।
सेमिनार के मुख्य वक्ता लेखक संपादक, अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव बाद सरोज थे। उन्होंने भारत के इतिहास के उल्लेख के साथ बताया कि इस देश का निर्माण ही समावेश और मिलमिलाप से हुआ है। दुनिया के सारे धर्म यहाँ हैं, पृथ्वी की सभी बड़ी मानव प्रजाति यहाँ हैं, भाषाओं के अनेक परिवार यहाँ है। इन सबके समन्वय का नाम ही हिंदुस्तान है। उन्होंने कहा कि जो लोग आज अपनी असफलताओं को छुपाने के लिए धर्म की आड़ ले रहे हैँ। वे न भारत को जानते हैँ न ही वादे वादे जायते तत्वबोधः की परम्परा से ही परिचित हैँ। ये वे हैँ जो अनेक रंगबिरंगे फूलों और खुशबुओं की बगिया पर बुलडोजर चलाकर सिर्फ धतूरा लहलहाना चाहते हैँ। उन्होंने कहा कि ये जो आज देश के दुर्भाग्य से सत्ता में जा बैठे हैँ, वे आजादी की लड़ाई में कभी शामिल नहीं रहे। जिन्होंने प्रगति की बजाय पीछे की ओर देखा, उजाले की जगह अन्धकार को पूजा है। इसीलिये ये भारत के संविधान को खत्म कर देना चाहते हैँ। ये सिर्फ संविधान के नहीं पिछली पांच हजार वर्ष में भारत ने जो हासिल किया है। उसके भी दुश्मन है। इनसे भारत को बचाने के लिए साझी मुहिम का आव्हान भी उन्होंने किया।
उ.प्र. किसान सभा के महामंत्री मुकुट सिंह ने कहा कि कामरेड सीताराम येचुरी की प्रथम पुण्यतिथि पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी पूरे देश में संविधान बचाओ, साम्प्रदायिकता खत्म करो, भाईचारा मजबूत करो, अधिकारों और खेती किसानी को बचाने के लिए संघर्ष करो, के रुप में मना रही है। उन्होंने बिजली के निजीकरण, कृषि पर अमरीका और ब्रिटेन से हो रहे समझौतों के खतरे से आगाह करते हुए व्यापक किसान आन्दोलन संगठित करने की अपील की। माकपा जिलासचिव नाथूराम यादव ने जिले में चल रही दमन की कार्यवाही की निंदा करते हुए सरकार द्वारा किसान की जमीन मिट्टी मोल हड़पने के खिलाफ संघर्ष का आह्वान किया। का0 रामप्रकाश पोरवाल को इस मौके पर सम्मानित किया गया। सेमिनार की अध्यक्षता पूर्व मंत्री अशोक यादव ने तथा संचालन अनिल दीक्षित ने किया।