टेंडर घोटाले, फर्जी बिल और गंदगी : इटावा नगर पालिका पर गंभीर सवाल
इटावा नगर पालिका के भीतर फैले भ्रष्टाचार के कारण जनता का विश्वास टूट सा है। श्मशान घाट जैसे पवित्र स्थल पर हुए घोटाले ने यह दिखा दिया कि विकास कार्यों के नाम पर केवल धन का दुरुपयोग किया गया। करोड़ों रुपये आवंटित होने के बावजूद जनता को बुनियादी सुविधाएँ नहीं मिल पाईं। सोशल मीडिया पर वायरल हुई पोस्टों और वीडियो ने यह साफ़ कर दिया कि नगर पालिका के अधिकारी और जनप्रतिनिधि अपने कर्तव्यों से भटककर निजी लाभ में डूबे हुए हैं (Instagram Link)।
इटावा नगर पालिका की शर्मनाक हकीकत : विकास की जगह भ्रष्टाचार का बोलबाला
नाला सफाई घोटाले में ₹1.63 करोड़ रुपये की राशि खर्च दिखाए जाने के बावजूद नाले गंदगी से भरे रहे। जनता ने फेसबुक पर वीडियो डालकर आरोप लगाया कि यह पैसा “चंटू भैया” तक पहुंचा और सफाई केवल कागजों पर की गई (Facebook Video)। यह न केवल प्रशासनिक विफलता है, बल्कि सीधा-सीधा जनता की मेहनत की कमाई के साथ धोखा है।
करणी सेना का भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा
टेंडर प्रक्रिया की धांधली को लेकर करणी सेना ने डीएम को छह सूत्रीय ज्ञापन सौंपा। उनका कहना था कि नगर पालिका में लगातार टेंडर फिक्स किए जाते हैं और जानकारी लीक की जाती है। अगर समय पर कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन और तेज़ किया जाएगा (Bhaskar News)। इस कदम से साबित होता है कि यह मामला केवल आम जनता तक सीमित नहीं है, बल्कि संगठित सामाजिक समूह भी भ्रष्टाचार से तंग आ चुके हैं।
जनप्रतिनिधियों के बीच गुटबाजी की स्थिति अब सड़क पर उतर चुकी है। चंटू भैया और मन्कू भैया की लड़ाई इसका उदाहरण है। इससे जनता के सामने यह तस्वीर और स्पष्ट हो गई कि विकास और प्रशासन के बजाय व्यक्तिगत वर्चस्व और सत्ता की लड़ाई नगर पालिका में प्राथमिकता है। जब जनप्रतिनिधि खुद सड़क पर टकराएँगे तो जनता किससे उम्मीद रखेगी?
नगर पालिका में कमीशनखोरी का खुलासा खुद नेताओं ने किया। सन्टू गुप्ता ने 40% कमीशन लेने की बात स्वीकार की, जबकि सभासदों द्वारा ₹20,000 कमीशन वसूलने की बात भी सामने आई। इससे यह साबित होता है कि भ्रष्टाचार कोई गुप्त बात नहीं, बल्कि खुलेआम स्वीकार किया जाने वाला चलन बन चुका है। (facebook.com)
सन्टू गुप्ता की डगमगाती साख : कमीशनखोरी और घोटालों से करियर पर संकट
इन खुलासों ने सबसे बड़ा झटका सन्टू गुप्ता की राजनीतिक छवि को दिया है। पहले उन्हें जनता के बीच एक मजबूत नेता माना जाता था, लेकिन भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी की इस संस्कृति ने उनकी साख को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया है। सोशल मीडिया पर लगातार चर्चाएँ हो रही हैं कि यदि यही स्थिति बनी रही तो उनके राजनीतिक करियर को अपूर्णीय क्षति होगी।
नालों में गंदगी, कागजों में सफाई : इटावा नगर पालिका का ‘कमीशन राज’
नगर पालिका के पूर्व ईओ विनयमणि कुमार त्रिपाठी पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। स्थानीय संगठनों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की (Bhaskar Report). इससे यह साफ़ हो गया कि भ्रष्टाचार केवल निचले स्तर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उच्च अधिकारियों तक फैला हुआ है।
सोशल मीडिया ने इन घोटालों को जनता तक पहुँचाने का सबसे बड़ा माध्यम बनकर काम किया है। पहले जो बातें बंद कमरों में दबा दी जाती थीं, अब फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर खुलेआम सामने आ रही हैं। “श्मशान तक नहीं छोड़ा” जैसे वाक्य जनता की पीड़ा और आक्रोश को उजागर कर रहे हैं। इस पारदर्शिता ने नगर पालिका की पोल पूरी तरह खोल दी है।
इन सब घटनाओं ने जनता को गहरी निराशा में डाल दिया है। नगर पालिका का अस्तित्व विकास के लिए है, लेकिन यहाँ भ्रष्टाचार, गुटबाजी और कमीशनखोरी का राज है। नाला, श्मशान घाट और सफाई जैसे बुनियादी काम तक ठीक से नहीं हो रहे, जबकि करोड़ों रुपये खर्च दिखाए जा रहे हैं। यह जनता के अधिकारों का सीधा हनन है।
अब वक्त आ गया है कि शासन-प्रशासन इस मामले में कठोर कदम उठाए। बजट, टेंडर और भुगतान से जुड़े दस्तावेज़ की जाँच हो और दोषियों पर कार्रवाई हो। जब तक निष्पक्ष जांच और कठोर सजा नहीं दी जाएगी, जनता का विश्वास प्रशासन से पूरी तरह उठ जाएगा। इटावा की जनता अब बदलाव चाहती है और यह तभी संभव है जब भ्रष्टाचार की जड़ें उखाड़ी जाएँ और नगर पालिका को ईमानदारी व पारदर्शिता की राह पर लौटाया जाए।