साहित्य जगत को गहरा आघात लगा है, प्रसिद्ध कवि एवं सेवानिवृत्त प्रधानाध्यापक करण सिंह वर्मा ‘शैवाल’ का 82 वर्ष की अवस्था में निधन हो गया। वे शिक्षा जगत में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के साथ-साथ साहित्यिक मंचों पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे।
करण सिंह वर्मा परिषदीय प्रधानाध्यापक के पद से सेवानिवृत्त हुए थे, लेकिन उनकी पहचान केवल एक शिक्षक की नहीं, बल्कि एक सशक्त कवि के रूप में भी थी। उन्होंने इटावा समेत आसपास के जिलों में होने वाले कवि सम्मेलनों में अपनी ओजस्वी और प्रभावशाली रचनाओं से काव्य मंच को सुशोभित किया। उनकी कविताएँ विशेष रूप से सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार करने वाली हुआ करती थीं।
वे भारत विकास परिषद समर्पण शाखा से आजीवन जुड़े रहे और सामाजिक उत्थान के कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाते रहे। इसके अलावा, साहित्यिक संस्था युगांतर से भी उनका गहरा नाता था, जहां उन्होंने साहित्य साधना में योगदान दिया और नई पीढ़ी को प्रेरित किया।
उनके निधन से साहित्य और समाजसेवा के क्षेत्र में एक अपूरणीय क्षति हुई है। उनके साथियों, साहित्यकारों और प्रशंसकों ने उनके योगदान को याद करते हुए गहरा शोक व्यक्त किया है। करण सिंह वर्मा ‘शैवाल’ का जाना न केवल साहित्य प्रेमियों के लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक बड़ी क्षति है। उनकी प्रेरणादायक रचनाएँ और सामाजिक योगदान हमेशा याद किए जाएंगे।