जसवंतनगर। तेजी से बढ़ते अन्ना गोवंश, आवारा पशुओं, नीलगाय, पहाड़ी और जंगली सुअरों का उत्पात अब किसानों के लिए संकट बन चुका है। इन पशुओं के खेतों में घुसने से किसानों की मेहनत पर पानी फिर रहा है। इस समय जिले के सैकड़ों किसान अपनी रबी की फसल की सिंचाई करने के बाद खाद का छिड़काव भी कर चुके हैं, लेकिन यह सब बेकार हो रहा है क्योंकि पशुओं के झुंड खेतों में घुसकर लहलहाती फसलों को बर्बाद कर रहे हैं।
किसान अपनी फसलों को बचाने के लिए खेतों में मचान बना कर रात में उनकी रखवाली करते हैं, ताकि ये आवारा पशु फसलों को नुकसान न पहुंचा सकें। यह स्थिति मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानी ‘पूस की रात’ के पात्र हल्कू की याद दिलाती है, जो ठंडी रात में अपनी फसल की रक्षा के लिए जागते थे। आज के किसान भी उसी हालात से गुजर रहे हैं, जहां उन्हें कड़कड़ाती ठंड में रातों को जागकर अपनी मेहनत बचानी पड़ रही है।
आवारा पशुओं की संख्या में वृद्धि से जिले के किसान परेशान हैं, लेकिन पशुपालन और कृषि विभाग की ओर से अब तक इस समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कार्ययोजना नहीं बनाई गई है। बीहड़ी क्षेत्र के यमुना नदी के किनारे बसे गांवों में यह समस्या और भी गंभीर हो गई है। किसान अपने खेतों की रक्षा के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं, लेकिन कोई स्थायी समाधान नजर नहीं आ रहा है।
किसानों का कहना है कि अगर समय रहते सरकार और प्रशासन इस समस्या पर ध्यान नहीं देते, तो आने वाले समय में फसलें पूरी तरह से तबाह हो सकती हैं, जिससे उनकी आजीविका पर बड़ा संकट मंडराएगा।