भरथना (रिपोर्ट- तनुज श्रीवास्तव, 9720063658)- नववर्ष के आगमन की प्रतीक्षा पर जहाँ पहले बुक स्टाल की दुकानें आकर्षक रंग-बिरंगे डिजाइनदार ग्रीटिंगों से गुलजार हो जाती थीं और बच्चों समेत युवा अपने मित्रों व करीबियों को ग्रीटिंग कार्ड देने के लिए उत्साहित रहते थे। आज मोबाइल के बढते कदमों की दुनिया ने ग्रीटिंग कार्ड के चलन को विलुप्त कर दिया है।
अमन यादव का कहना है कि पहले नववर्ष आने से एक माह पूर्व दिसम्बर महीने से ही किताबों की दुकानों पर आकर्षक रंग-बिरंगे ग्रीटिंग कार्ड की भरमार शुरू हो जाती थी। सस्ते-मंहँगे दोनों तरह की कीमत के बाबजूद बच्चे व युवा खूब खरीददारी करते थे।
गौरव रावत ने कहा कि शैक्षणिक काल के दौरान ग्रीटिंग कार्ड को लेकर बच्चों में खासा उत्साह देखने को मिलता था। ग्रीटिंग कार्ड खरीदकर उनमें शुभकामना व बधाई भरी पंक्तियां लिखकर अपने अध्यापकों, मित्रों को देने का उत्साह अलग ही दिखाई देता था, जो धीरे-धीरे मोबाइल की उपयोगिता के साथ-साथ बिल्कुल खत्म हो गया है।
अरूण मोटवानी ने कहा कि नववर्ष के आगमन पर प्रत्येक व्यक्ति को अपने करीबी रिश्तेदार व शुभचिन्तक के यहाँ से डाक द्वारा ग्रीटिंग कार्ड आने का उत्सुकता से इन्तजार रहता था, क्योंकि उस समय लोग अपने सबसे करीबी व्यक्ति या रिश्तेदार को ग्रीटिंग भेजना जिम्मेदारी समझते थे और नववर्ष के एक पखवारा तक डाकिया बधाईयों का सन्देशवाहक होता था।
आविद अली ने कहा कि मोबाइल के बढते कदमों ने ग्रीटिंग कार्ड की दुनिया को विलुप्त कर दिया है। आज की नई पीढी शुभकामनाओं के इस सन्देश पत्र ग्रीटिंग कार्ड व उनके चलन से पूरी तरह अनभिज्ञ है। विज्ञान की दौड और परिवर्तन के चक्र ने ग्रीटिंग कार्ड को व्हाट्सअप सन्देश में तब्दील कर दिया है।

