भरथना- जब धान की फसल कटने के लिए तैयार थी, जिले में हुई बेमौसम भीषण बरसात ने न केवल फसल बर्बाद की, बल्कि किसान के सपने भी मिट्टी में मिला दिये। लेकिन सरकार ने अपनी किसानविरोधी मंशा के तहत न तो नुकसान का सर्वे कराया और न ही उसके लिये मुआवजे का ही ऐलान किया। किसान सभा सरकार के इस रवैये की निंदा करते हुये तत्काल सर्वे कराकर नुकसान आधारित मुआवजे की मांग करती है।
यह बात गुरूवार को स्थानीय उपजिलाधिकारी कार्यालय पर किसान सभा इटावा के पूर्व कोषाध्यक्ष कामरेड अनिल दीक्षित ने कही। उन्होंने कहा कि चौथाई किसानों की फसल बिकने के बाद खोले गए सरकारी खरीद केंद्र सफेद हाथी साबित हो रहे हैं। मानक के नाम पर किसान का धान क्रय ही नहीं किया जा रहा है और किसान अपनी फसल को सरकारी रेट से आधे में बेचने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव के वक्त स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने का वादा करने वाली सरकार ही आज किसान पर हन्टर चला रही है, उन्होंने कहा कि महीन धान जिसका भाव आज से तीन साल पहले पांच हजार रुपए प्रति कुन्तल था, आज 2200 रुपए कुन्तल बिक रहा है। लेकिन शासन-प्रशासन अपनी आंखों में पट्टी बांधकर सोया हुआ हैं। का0 अनिल दीक्षित ने कहा कि अगर तत्काल सुधार न हुआ, तो किसान सभा सरकारी खरीद केंद्रों का घेराव कर किसानों के धान लेने के लिए मजबूर करेगी।
किसान सभा इटावा के उपाध्यक्ष शिवराम सिंह यादव ने डीएपी की किल्लत का हवाला देकर कहा कि किसान को दिन भर लाइन में लगकर भी एक बोरी खाद नहीं मिलती, एक तरफ खाद की किल्लत है, दूसरी ओर सरकार बफर स्टाक का फर्जी ऐलान करती है। उन्होंने डीएपी व यूरिया खाद किसान की आवश्यकतानुसार मुहैया कराने की मांग की। उपरोक्त समस्याओं का मुख्यमंत्री को संबोधित मांगपत्र तहसीलदार भरथना दिलीप कुमार को दिया गया। प्रदर्शन में आपेन्द्र कुमार प्रधान, सुरेश सिंह, रामप्रकाश यादव, रामनारायण, सुरेश चन्द्र, दुर्गविजय सिंह, इंद्रेश बाबू, प्रदीप कुमार, रामकृष्ण, चन्द्रभान, भारत सिंह आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

