डॉ० रमाकान्त शर्मा का जन्म 17 नवम्बर 1957 को में हुआ। उनका बचपन ग्रामीण परिवेश में बीता, जहाँ सादगी, संस्कार और परिश्रम का संगम उनके जीवन का आधार बना। उनके पिता स्वर्गीय पं० रामकृष्ण शर्मा एक विद्वान ब्राह्मण थे, जिन्होंने धार्मिकता और नैतिकता के मूल्य अपने पुत्र के जीवन में बचपन से ही रोपित किए। माता स्व. श्रीमती चंद्रावली शर्मा एक अत्यंत धार्मिक और कर्मठ गृहिणी थीं, जिन्होंने परिवार को स्नेह और संस्कार की डोर से जोड़े रखा।

डॉ० शर्मा की प्रारंभिक शिक्षा इटावा जिले के पुरोहितन टोला छिपेटी विद्यालय से प्रारंभ हुई। यहीं से उन्होंने प्राथमिक शिक्षा प्राप्त कर अध्ययन की गहरी रुचि विकसित की। आगे की शिक्षा के लिए उन्होंने सनातन धर्म इंटर कॉलेज, इटावा में प्रवेश लिया, जहाँ उनकी मेधा और अनुशासन ने उन्हें छात्रों में विशिष्ट पहचान दिलाई। शिक्षा के साथ-साथ वे राष्ट्र और समाज के प्रति जागरूकता के भाव से भी ओतप्रोत रहे।

उच्च शिक्षा के लिए डॉ० शर्मा ने चिकित्सा क्षेत्र को चुना। उन्होंने ललित हरि राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज, पीलीभीत (उ.प्र.) से आयुर्वेद चिकित्सा में स्नातक (B.A.M.S.) की उपाधि प्राप्त की। चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में अध्ययन करते हुए उन्होंने यह समझा कि सेवा का सर्वोच्च माध्यम मनुष्य के दुखों का निवारण करना है, और यही उनके जीवन का ध्येय बन गया।

डॉक्टर बनने के बाद उन्होंने न केवल चिकित्सा को अपने पेशे के रूप में अपनाया, बल्कि इसे सेवा का साधन माना। उनकी चिकित्सकीय दृष्टि केवल दवाइयों तक सीमित नहीं रही वे रोगी के मानसिक, सामाजिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के महत्व को भी समझते थे। समाज में उन्होंने आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार के साथ-साथ जनजागरूकता के अनेक कार्य किए।

डॉ० रमाकान्त शर्मा का झुकाव आरंभ से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा की ओर रहा। उन्होंने बाल्यावस्था में ही संघ का दैवत्व स्वीकार किया। उनकी संघ आयु ५5 वर्ष है, जो उनके लंबे समर्पण और निष्ठा की गवाही देती है। वे संघ शिक्षा द्वितीय वर्ष प्रशिक्षित स्वयंसेवक हैं, जो संगठन में उनकी गहराई और नेतृत्व कौशल को दर्शाता है।

सामाजिक कार्यों में उनकी सक्रियता भारत विकास परिषद, इटावा में जिला मंत्री के रूप में रही, जहाँ उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और सेवा के क्षेत्र में अनेक योजनाएँ संचालित कीं। उनके नेतृत्व में परिषद की शाखाओं ने गरीबों के लिए निःशुल्क चिकित्सा शिविर, रक्तदान शिविर और छात्रवृत्ति वितरण जैसे कार्य सफलतापूर्वक किए।

शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, मोतीझील, इटावा में व्यवस्थापक के रूप में 1995 से 2005 तक कार्य किया। इस दौरान उन्होंने विद्यालय में शैक्षणिक सुधार, अनुशासन और सांस्कृतिक विकास को प्राथमिकता दी। विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए उन्होंने अनेक नवाचार किए।

डॉ० शर्मा भारतीय शिक्षा समिति, अवध प्रान्त के सदस्य भी रहे, जहाँ उन्होंने शिक्षा के भारतीयकरण और मूल्य आधारित शिक्षण की अवधारणा को आगे बढ़ाया। उनके कार्यकाल में शिक्षा को केवल रोजगार का साधन न मानकर राष्ट्रनिर्माण का माध्यम बनाने पर बल दिया गया।

राजनीतिक और सामाजिक दोनों क्षेत्रों में समान रूप से सक्रिय रहते हुए उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के संगठन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे इटावा जिले के जिलाध्यक्ष (2010 से 2012) रहे, जहाँ उन्होंने संगठन को गांव-गांव तक मजबूत किया। उनके नेतृत्व में पार्टी ने कई ऐतिहासिक कार्यक्रमों का सफल संचालन किया।

संगठनात्मक क्षमता के कारण उन्हें भारतीय जनता पार्टी, कानपुर क्षेत्र का क्षेत्रीय मंत्री नियुक्त किया गया। इस भूमिका में उन्होंने न केवल कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया बल्कि पार्टी के सिद्धांतों को आमजन तक पहुँचाने का कार्य भी किया। उनकी सादगी, व्यवहारकुशलता और कार्यनिष्ठा ने उन्हें कार्यकर्ताओं के बीच प्रिय बनाया।

2017 के विधानसभा चुनावों में वे इटावा लोकसभा पालक की जिम्मेदारी निभाते रहे। यह जिम्मेदारी उन्होंने पूर्ण समर्पण से निभाई, संगठन को मजबूत करने और कार्यकर्ताओं में एकता स्थापित करने में उनका योगदान उल्लेखनीय रहा।

बाद में उन्हें सुशासन एवं केन्द्र राज्य कार्यक्रम समन्वयक, कानपुर क्षेत्र एवं बुन्देलखण्ड क्षेत्र का क्षेत्रीय संयोजक बनाया गया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने सरकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य किया। उनका प्रयास रहा कि केन्द्र और राज्य की जनकल्याणकारी नीतियाँ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे।

कानपुर मंडल के संच प्रभारी के रूप में कार्य करते हुए वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में डॉ० रमाकान्त शर्मा को फर्रुखाबाद लोकसभा क्षेत्र का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया गया। उनके कुशल संगठनात्मक नेतृत्व और समन्वय के परिणामस्वरूप भाजपा प्रत्याशी मुकेश राजपूत ने 2 लाख से अधिक मतों से शानदार विजय प्राप्त की। इस चुनाव में डॉ० शर्मा ने संगठन के संचालन, कार्यकर्ताओं के प्रबंधन और जनसंपर्क जैसे दायित्वों को अत्यंत दक्षता और समर्पण के साथ निभाया।

वर्तमान में वे भारतीय जनता पार्टी, उत्तर प्रदेश की प्रदेश कार्य समिति के सदस्य हैं। यह पद उनके लंबे संगठनात्मक अनुभव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है। उनकी विचारधारा राष्ट्रहित, सेवा और संगठन के मूल सिद्धांतों पर आधारित है, जो उन्हें समाज में एक प्रेरणास्रोत के रूप में स्थापित करती है।

डॉ० रमाकान्त शर्मा का जीवन संघर्ष, समर्पण और साहस की मिसाल है। 15 अक्टूबर 1989 से 24 अक्टूबर 1989 तक वे रामजन्म भूमि आन्दोलन के दौरान जेल भी गए। उस समय उन पर अपराधिक धाराएँ लगाई गईं, परंतु उन्होंने पीछे हटना स्वीकार नहीं किया। शिनाख्त कार्यवाही के बाद ही वे बाहर आ सके। इस घटना ने उनके जीवन को और अधिक दृढ़ बनाया। आज भी वे राष्ट्र और समाज के लिए उसी निष्ठा से कार्यरत हैं, जिस भावना से उन्होंने अपनी यात्रा आरंभ की थी।


