नगर पालिका इटावा में भ्रष्टाचार का मुद्दा कोई नई बात नहीं है। वर्षों से लोग इसकी खामियों और गड़बड़ियों को झेलते आ रहे हैं। आम जनता इस व्यवस्था की कमजोरियों की आदी हो चुकी है, लेकिन राजीव यादव की आत्महत्या ने हालात को एकदम से बदलकर रख दिया। राजीव यादव ने अपने सुसाइड नोट में साफ-साफ पूर्व चेयरमैन संटू गुप्ता का नाम लिखा है, जिसने इस पूरे मामले को बेहद गंभीर बना दिया है। आत्महत्या करने से पहले राजीव यादव के मन में आरोपियों के प्रति कितनी घृणा थी, इसका अंदाज़ा लगाना भी आसान नहीं है।
इटावा के लोगों के लिए यह घटना किसी झटके से कम नहीं है। संटू गुप्ता वही शख्स हैं जिन्हें जनता ने पार्टी की सीमाओं से हटकर भी हर वक्त समर्थन दिया। लोगों ने उन्हें तन, मन और धन से सहयोग दिया, लेकिन जब उन्हीं पर इस तरह के आरोप सामने आते हैं तो यह विश्वास का टूटना सामान्य सी बात है। जनता के मन में निराशा और आक्रोश दोनों साफ दिखाई दे रहे हैं।
इटावा लाइव लंबे समय से नगर पालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगातार लिखता और रिपोर्टिंग करता आया है। इस दौरान कई अनियमितताएं उजागर हुईं, लेकिन हाल की घटना ने यह साबित कर दिया है कि समस्या सतही नहीं, बल्कि बेहद गहरी है। राजीव यादव जैसे ईमानदार सरकारी कर्मचारी को आत्महत्या के लिए मजबूर करना न सिर्फ कानूनन अपराध है बल्कि संटू गुप्ता नैतिक रूप से कितने गिर चुके है इसका भी प्रमाण है। जनता अब सवाल उठाने लगी हैं कि क्या जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई होगी या मामला हमेशा की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा।
सर्वे के नतीजे भी जनता की सोच को सामने लाते हैं। इटावा लाइव द्वारा किए गए हालिया सर्वे में 5 लाख से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया। इसमें 84 प्रतिशत लोगों ने साफ कहा कि संटू गुप्ता की छवि अब पहले जैसी नहीं रही और उसमें भारी गिरावट आई है। यह आंकड़े इस बात का प्रमाण हैं कि जनता अब पूरी तरह से असंतुष्ट और नाराज़ है।
अब सबकी निगाहें आने वाले समय पर टिकी हैं। राजीव यादव के परिवार को न्याय मिल पाएगा या नहीं, यह सबसे बड़ा सवाल है। साथ ही जनता यह भी देखना चाहती है कि प्रशासन और सरकार इस मामले में कितना गंभीर कदम उठाते हैं। अगर जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो इटावा की जनता का भरोसा न सिर्फ नेताओं से, बल्कि पूरी व्यवस्था से उठ सकता है।