हनुमंतपुरा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन रविवार को कथा व्यास राष्ट्रीय प्रवक्ता कृपाशंकर महाराज ने श्रद्धालुओं को जीवन के कर्तव्यों और मृत्यु के बारे में गहरे उपदेश दिए। उन्होंने कहा कि मनुष्यों का असल कर्तव्य केवल भागवत सुनने और समझने से ही समझ में आता है।
कृपाशंकर महाराज ने अपने प्रवचन में यह भी कहा कि विडंबना यह है कि मृत्यु निश्चित होने के बावजूद हम उसे स्वीकार नहीं करते। उन्होंने आगे कहा कि जो व्यक्ति निष्काम भाव से प्रभु का स्मरण करता है, वह जन्म और मरण दोनों को सुधार लेता है।
कथा व्यास ने श्रद्धालुओं को शुकोपदेश कथा का गृह संदेश भी दिया। उन्होंने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा केवल मोक्ष का मार्ग ही नहीं खोलती, बल्कि यह सांसारिक जीवन को भी सार्थक बनाती है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर राजा परीक्षित का उल्लेख किया, जिन्होंने मृत्यु का श्राप मिलने के बावजूद धैर्य और श्रद्धा के साथ शुकदेव मुनि से ज्ञान प्राप्त किया और जीवन को सही दिशा में मोड़ा।