इटावा शहर से लगभग 8 किमी दूर पश्िचम की ओर कचौरा घाट रोड पर यमुना नदी के किनारे रूरा गांव के पास दक्षिण मुखी खुले मुख की लेटे हुए कंकड़ों की शिला, दांत (स्थानीय भाषा मे कंकड़ों की शिला को दांत कहते है) की पिलुवा महावीर के नाम से प्रसिद्ध हनुमान जी की मूर्ति है जो इटावा व अन्य जिले के लोगों की पूजा अर्चन और श्रद्धा का केन्द्र है।
पिलुवा महावीर मूर्ति की विशेषता है कि हनुमान जी की लेटी प्रतिमा के मुखार बिन्दु में जो भी जल, दूध , लड्डू प्रसाद डाला जाता है वह सीधे उदर में जाता और उसका कुछ पता नहीं चलता कि वह कहां जाता है। आज तक हजारों टन लड्डू प्रसाद मुख में डाला जा चुका है किन्तु मूर्ति का मुख भरा नहीं जा सका है। बैज्ञानिक युग में भी उसका कुछ पता नहीं चल पाया कि उसमें कौन सी तकनीक है जो प्रसाद , दूध,जल का कहीं निकलना नहीं होता, वह आखिर कहां चला जाता है।
यह मूर्ति विभूषित बालरूप हुनमान की प्रतीत होती है। पुरातत्वविदों के लिए उसका मूर्ति शिल्प आज भी शोध का विषय है। इस मंदिर के बारे में जनश्रुति है कि यहां जो भी मनुष्य किसी कामना के साथ आकर पूजा अर्चना करता है उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।