Saturday, May 18, 2024
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इटावा के शि‍खर पुरूष हैं मुलायम सिंह यादव इटैली से आये थे पि‍ता सुघर सिंह के बाबा

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भारत के सबसे वि‍शाल आबादी वाले राज्‍य उत्‍तर प्रदेश के तीन बार मुख्‍यमत्री एंव केन्‍द्र सरकार में दो बार रक्षा मंत्री रह चुके जनपद इटावा के शि‍खर पुरूष मुलायम सिंह यादव का जन्‍म इटावा जनपद के ग्राम सैफई में 22 नबम्‍वर 1939 को एक साधारण किसान स्‍व0  सुघर सिंह यादव के घर में हुआ था। इनके पिता अत्‍यन्‍त सरल हृदय किन्‍तु कर्मठ किसान थे। बहुत कम लोग यह जानते होगे कि‍ मुलायम सि‍हं के बाबा खड़गजीत सि‍हं ग्राम इटैली तहसील शि‍कोहाबाद वर्तमान जनपद फि‍रोजाबाद से अपनी ससुराल सैंफई में अत्‍यंत गरीबी के कारण आये थे। यहा गांव वालों ने उन्‍हे दामाद होने के नाते पूरा स्‍नेह ही नहीं दि‍या वल्‍कि‍‍ गुजारे के जमीनं तथा एक घर भी प्रदान  कि‍‍या। बाबा खड़्गजीत सि‍हं के तीन पुत्र थे सुखलाल,मेवाराम,तथा उमराव मझले पुत्र मेवाराम के चार पुत्र छेदालाल, बच्‍चीलाल,सुघरसि‍हं एवं बादशाह थे। मेवाराम के घर में सुघर सिंह नामक एक महान तेजस्‍पी वालक का जन्‍म हुआ जो बचपन से ही होनहार वि‍रवान के होत चि‍कने पात की‍ कहावत चरि‍तार्थ करने लगा।

15 वर्ष की आयु में आंदोलन में लि‍या था भाग

सैंफईं के पूर्व प्रधान महेन्‍द्र सि‍हं ने 825 रूपया चंदा करके तत्‍कालीन जि‍ला वि‍द्यालय नि‍रीक्षक बांकेलाल की सहायता एवं रंमपुरा जमींदार व्रि‍न्‍दावन शाह गुप्‍ता द्वारा दान की हुई जमीन पर प्राथमि‍क पाठशाला बनी। मुलायम सि‍हं इसी में सर्वाधि‍क कुशार्ग बुद्धि‍ के छात्र थे। वर्तमान समय में इसी भूमि‍ पर सैंफई में राजकीय इण्‍टर कालेज बना हुआ हैं। बात मुलायम सि‍हं की करे तो  वर्ष 1954 में मात्र 15 वर्ष की आयु में मुलायम सिंह यादव ने डॉ0 लोहिया के आह्रवान पर छोडे गये ‘’नहर रेट’’ आन्‍दोलन में भाग लिया और पहली बार जेल गये। श्री यादव ने आगरा विश्‍वविद्यालय से राजनीति‍क वि‍ज्ञान से एम0ए शि‍कोहाबाद से बी0टी0 की परीक्षायें उत्‍तीर्ण की, बाद में वह जैन इण्‍टर कालेज करहल (मैनपुरी)  मे प्रवक्‍ता भी रहे। इनका विवाह वर्ष 1957 में सामन्‍तश्री से हुआ था। बात   विभिन्‍न आन्‍दोलनो की करे तो वह  अनेको बार जेल गये और तीन वर्ष से अधिक समय के लिये कारावास  मे रहे । आपातकाल के दौरान  वे 19 माह जेल में रहे। राजनीति‍क कमांडर अर्जुन सि‍हं भदौरि‍या से जुडने के बाद चौधारी नत्‍थु सि‍हं यादव के सानि‍ध्‍य में  मुलायम सि‍हं आये। कुशती के नामी पहलवान एवं आगरा मण्‍डर के कुशती के चैम्‍पि‍यन भी रहे।

अन्‍याय एंव उत्‍पीड़न के वि‍रूद्ध संघर्ष की प्रेरणा डा0 लोहि‍या से मि‍ली

श्री यादव बचपन से ही समाज में व्‍याप्‍त  असमानताओं, विषमताओं, अनुसूचित जाति /जनजाति  तथा पिछडे वर्गो  की समस्‍याओं  के प्रति  संवेदनशील  रहे। श्री यादव की शिक्षा  तथा  कृषि के क्षेत्रों में विशेष रूचि है। वे अनेक शिक्षा संस्‍थाओं  में प्रबन्‍ध  समिति के सदस्‍य एवं प्रबन्‍धक भी रहे हैं। व्‍यायाम व कुश्‍ती  में भी उनकी गहरी रूचि  थी और उन्‍होंने  कुश्‍ती  में खिताब भी  जीते है। प्रासिद्ध समाजवादी नेता एवं  विचारक डा0 राम मनोहर  लोहिया की समाजवादी  विचारधारा  का उन पर गहरा प्रभाव पडा और अन्‍याय  एवं  उत्‍पीडन  के विरूद्ध संघर्ष  की प्रेरणा  भी उन्‍हें  डा0 लोहिया से ही मिली।  डा0 लोहिया द्वारा  सम्‍पादित  सुप्रसिद्ध  समाचार पत्र  ‘’जन’’ तथा  ‘’चौखम्‍भा’’ को  श्री यादव बचपन से पढतें रहे  और इनमें  डा0 लोहिया द्वारा व्‍यक्‍त  समाजवादी विचारों  से वे निरन्‍तर  प्रभावित  होते रहे। उत्‍तर  भारत में इटावा  तथा  आस-पास  का क्षेत्र  वैसे भी  समाजवादी आन्‍दोलन  का गढ है। बाद में श्री यादव,  मधुलिमये  जैसे समाजवादी चिन्‍तक और स्‍व0 कर्पूरी ठाकुर एवं स्‍व0  रामसेवक  यादव जैसे जुझारू समाजवादी नेताओं  के निकट सम्‍पर्क  में  आकर   राजनीति करते रहे।

श्री यादव किसानों के प्रबल समर्थक  पूर्व प्रधानमंत्री स्‍व0 चौ0 चरण सिंह के विचारों से भी  प्रभावित हुये।  गत 40 वर्षो  से किसानों  मजदूरों, नवजवानों , छात्रों, अल्‍पसंख्‍यकों, दलितों एवं अन्‍य पिछडे और कमजोर  वर्गो के हितों  की  रक्षा एवं  उनके  कल्‍याण के लिए संघर्ष करते  हुये राजनीति में सक्रिय है।

छात्र संघ अध्‍यक्ष भी रह चुके हैं मुलायम

वर्ष 1961 -62  में वे इटावा  में कर्मक्षेत्र महाविद्यालय के छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गये। वर्ष 1967 में  सर्वप्रथम संयुक्‍त सोशलिस्‍ट  पार्टी के टिकट पर जसवन्‍त नगर (इटावा) से विधानसभा के लिए  निर्वाचित हुए और सबसे कम उम्र के सदस्‍य के रूप में  विधानसभा  के सदस्‍य बने। वर्ष 1974 में वे विधानसभा  की प्रति  निहित विधानसभा  समिति के सदस्‍य बने। वर्ष 1974 में भारतीय क्रान्तिदल  तथा वर्ष 1977 में जनता पार्टी  के टिकट पर विधानसभा  के सदस्‍य निर्वाचित हुए। वर्ष  1977 में वह जनता पार्टी  सरकार में सहकारिता  और पशुपालन मंत्री बने।  उनके मंत्रित्‍वकाल  में ही प्रदेश  में पहली बार हर  स्‍तर पर  सहकारी संस्‍थाओं में अनुसूचित जातियों  का आरक्षण  सुनिश्चित  किया  गया तथा किसानों को उपलब्‍ध किये जाने वाले सहकारी  ऋणों  पर ब्‍याज  की दर कम करने  का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया।

वर्ष 1980 में वह उत्‍तर  प्रदेश  लोकदल के अध्‍यक्ष बने। लोकदल के विभाजन के बाद उन्‍होंने उत्‍तर प्रदेश  में क्रांतिकारी मोर्चा का गठन किया और बाद में  पुन: उत्‍तर प्रदेश  लोकदल (ब) के अध्‍यक्ष  बने। वर्ष 1982 में  उत्‍तर प्रदेश  विधान परिषद  के सदस्‍य निर्वाचित  हुए और उन्‍होंने  विधान परिषद  के विरोधी दल के नेता के रूप  में कार्य किया।  मार्च  1985 में जब चह लोकदल के टिकट  पर  चौथी बार विधान सभा  के सदस्‍य चुने गये तब वे  विधान सभा में विरोधी दल के नेता  भी रहे। श्री यादव पहले व्‍यक्ति है जिन्‍हे  उत्‍तर प्रदेश विधानमण्‍डल के दोनों सदनों  में  विरोधी दल का नेता होने का गौरव मिला है। जनता दल  के गठन के बाद श्री यादव उत्‍तर प्रदेश  जनता दल  के अध्‍यक्ष  बने और  उन्‍होंने  आम चुनाव  (1989) में जनता दल के चुनाव  अभियान का पूरी कुशलता के साथ  सफल  संचालन किया। वर्ष 1989 के आम  चुनाव में वह जनता दल के टिकट पर जसवन्‍त नगर क्षेत्र  से पुन: विधानसभा  के लिए निर्वाचित  हुए। श्री यादव 3 दिसम्‍बर , 1989 को जनता दल विधान मंडल के नेता चुने गये।  इसके पश्‍चात 5 दिसम्‍बर 1989 को  उन्‍होंने पहली बार  उत्‍तर प्रदेश  के मुख्‍यमंत्री  के रूप में शपथ  ग्रहण  की। श्री यादव वर्ष 1991 के विधानसभा  उपचुनाव  में जसवन्‍तनगर (इटावा)  व तिलहर  (शाहजहांपुर)  से चुनाव लडे और दोनों स्‍थानों  से भारी बहुमत से विजयी हुए। उन्‍होंने  अक्‍टूबर, 1992 में किसानों के हितों की रक्षा के लिये राज्‍य  व्‍यापी आन्‍दोलन  चलाया और  रामकोला  देवरिया के किसानों  पर पुलिस द्वारा गोली चलाये जाने के विरोध में उन्‍हें  गन्‍ना मूल्‍यों  के भुगतान दिलाने के लिए  संघर्ष  किया तथा जेल गये।

1992 में कि‍या समाजवादी पार्टी का गठन

श्री यादव ने 29 सितम्‍बर  1992 को समाजवादी जनता पार्टी से अलग हुए और उसी दिन उन्‍होंने  समाजवादी पार्टी  के गठन की घोषणा की । समाजवादी  पार्टी  का प्रथम  स्‍थापना सम्‍मेलन 4 नवम्‍बर, 1992 को लखनऊ में हुआ जिसमें  पार्टी  का संविधान पारित किया गया और उसके  कार्यक्रम  एवं नीतियों  की घोषणा की गयी।  नवम्‍बर ,1993 के विधानसभा  चुनाव में श्री यादव  जसवन्‍तनगर  (इटावा) निधौलीकलां (एटा) तथा शिकोहाबाद (फिरोजाबाद) से निर्वाचित  हुए।  बाद में वे समाजवादी पार्टी  विधायक मण्‍डल  दल के नेता  चुने गये । श्री  यादव ने  4 दिसम्‍बर,1993 को दूसरी बार उत्‍तर प्रदेश  के मुख्‍यमंत्री  के रूप में शपथ ली  और जून, 1995  तक प्रदेश  की समाजवादी  पार्टी एवं बहुजन समाज पार्टी की गठबन्‍धन सरकार का नेतृत्‍व  किया।

मई, 1996 के लोकसभा चुनाव में प्रथम बार श्री यादव मैनपुरी  संसदीय क्षेत्र  से लोकसभा  के लिए निर्वाचित  हुए और वे 1 जून,1996 को एच0डी0 देवगौडा के नेतृत्‍व एंव उनके द्वारा इस्‍तीफा दिये जाने के बाद इन्‍द्र कुमार गुजराल की सरकार के केन्‍द्रीय  मंत्रिमण्‍डल  में रक्षामंत्री   के रूप  में सम्मिलित  हुये। श्री यादव अक्‍टूबर, 1996 के उत्‍तर प्रदेश  विधानसभा के चुनाव में बदायूं  जनपद के सहसवान क्षेत्र  से भारी बहुमत से विजयी हुये किन्‍तु बाद में  विधानसभा सदस्‍यता  से त्‍याग- पत्र  देकर वे लोकसभा  के सदस्‍य एवं रक्षा मंत्री  बने रहें।

दो बार बने केन्‍द्रीय रक्षामंत्री

कांग्रेस पार्टी द्वारा संयुक्‍त  मोर्चा की इन्‍द्रकुमार  गुजराल से समर्थन वापस लेने पर फरवरी, 1998 में लोकसभा के मध्‍यावधि चुनाव घोषित किये  गये। इन चुनावों में दूसरी बार श्री यादव लोकसभा  के सदस्‍य सम्‍भल  लोकसभा क्षेत्र  से भारी बहुमत से निर्वाचित   हुये। इस बीच धर्मनिरपेक्ष  ताकतों की एकता को मजबूत करने और   साम्‍प्रदायिक शक्तियों  को परास्‍त  करने के लि‍ये मिलकर राष्‍ट्रीय जनता दल के  नेता  लालू  प्रसाद यादव के साथ मिलकर राष्‍ट्रीय  लोकतांत्रिक मोर्चा का गठन 24 जून, 1998 को किया गया जिसके श्री यादव अध्‍यक्ष मनोनीत किये गये।

श्री यादव पुन: अक्‍टूबर  1999 के लोकसभा चुनाव में अपनी  समाजवादी पार्टी को भारी विजय दिलाने  में सफल रहे और वे स्‍वंय  कन्‍नौज  तथा सम्‍भल समेत दो  क्षेत्रों से भारी  मतों से विजयी रहे। 25 अगस्‍त 2003 को सुश्री मयावती द्वारा मुख्‍यमंत्री पद से इस्‍तीफा दिये जाने बाद मुलायम सिंह यादव ने राज्‍यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया जिस पर राज्‍यपाल ने उन्हें सरकार बनाने  के लिये आमंत्रित किया और  श्री  यादव को 28 अगस्‍त 2003 को तीसरी बार मुख्‍यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई । विधानमंण्‍डल के किसी भी सदन का सदस्‍य न होने पर मुलायम सिंह को मुख्‍यमंत्री बने रहने के लिये 6 माह  के लिये इनका सदस्‍य बनना जरूरी था। लिहाजा उन्‍होने लोकसभा की सदस्‍यता से इस्‍तीफा देने के बाद  जनवरी, 2004 में उत्‍तर प्रदेश   के  बदायूं जिले की गुन्‍नौर  सीट पर हुए विधान सभा उपचुनाव में 10 लाख 83 हजार 899 मतों के अन्‍तर से जीते । यह जीत ऐतिहासिक जीत रही । विधान सभा चुनाव के किसी भी उम्‍मीदवार  ने इतने मतों के अन्‍तर से अभी तक चुनाव नहीं जीता। इस उपचुनाव  में समाजवादी पार्टी  के प्रत्‍याशी के  रूप में मुलायम  सिंह यादव को 1 लाख 95 हजार  213 मत मिले, जो कुल पडे मतों  का 91.45 प्रतिशत रहा। यह अखिल भारतीय रिकार्ड है। मुख्‍यमंत्री के रूप में मुलायम सिंह यादव  तीसरी पारी में 12 मई 2007 तक मुख्‍यमंत्री पद पर रहे।

तीसरी बार मुख्‍यमंत्री बने मुलायम सिंह यादव ने प्रदेश के विकास के लिए उत्‍तर प्रदेश विकास परिषद  का गठन किया गया, जिसमें देश के प्रमुख उद्योगपतियों ने अपनी शिरकत की है। नई औद्योगिक नीति, नई ऊर्जा नीति के चलत प्रदेश  के विकास में देश के शीर्षस्‍थ  औद्योगिक  घरानों  ने अपनी  रूचि दिखाई  और  22  फरवरी, 2004  को दादरी (गजियाबाद ) में  10 हजार  करोड रू0  की लागत से विश्‍व  के सबसे बडे गैस आधारित बिजली  संयंत्र को स्‍‍थापित  किये जाने की कार्यवाही प्रारम्‍भ  कराई। वर्ष 2009 में हुये लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव फिर से मैनपुरी लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुये और वर्तमान मे वह इस सीट का संसद  में प्रतिनिधित्‍व कर रहे है । प्रदेश की बसपा सरकार के खिलाफ मुलायम सिंह यादव के निर्देश पर समाजवादी पार्टी ने 7 से लेकर 9 मार्च तक प्रदेश भर में जन आन्‍दोलन किया इसके तहत प्रदेश भर में पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को हजारों की संख्‍या गिरफ़्तार किया गया और उन्‍हे  जेल भी भेजा गया । इस आन्‍दोलन के चलते सपा अध्‍यक्ष  मुलायम सिंह यादव को भी लखनऊ में प्रशासन नजर बन्‍द रखा गया।

मुलायम सि‍हं का राजनैति‍क जीवन

वि‍धानसभा चुनाव

क्र0सं0 वर्ष वि‍धानसभा क्षेत्र  पार्टी    परि‍णाम
1 1967 जसवंतनगर (इटावा) एसएसपी वि‍जई रहे
2 1969 जसवंतनगर (इटावा) एसएसपी पराजि‍त रहे
3 1974 जसवंतनगर (इटावा) बीकेडी वि‍जई रहे
4 1977 जसवंतनगर (इटावा) जोएनपी वि‍जई रहे
5 1980  जसवंतनगर (इटावा) एलकेडी परजि‍त रहे
6 1985 जसवंतनगर (इटावा) एलकेडी वि‍जई रहे
7 1989     जसवंतनगर (इटावा) जनता दल वि‍जई रहे
8 1991 जसवंतनगर (इटावा) जनता दल वि‍जई रहे
9 1993 जसवंतनगर (इटावा) शिकोहाबाद (फि‍रोजाबाद), ति‍लहर (शाहजंहापुर) सपा वि‍जई रहे
10 1996 नि‍धौलीकलां (एटा) ,सहसवान (बदायूं) सपा वि‍जई रहे
11 2004 गुन्‍नौर (बदायूं) सपा वि‍जई रहे
12 2007 गुन्‍नौर (बदायूं),    भर्थना   (इटावा) सपा वि‍जई रहे

 

नोट- वर्ष 1969 के चुनाव में मुलायम सि‍हं अपने प्रति‍द्वन्‍दी वि‍शम्‍भर सि‍हं यादव (कांग्रेस) एवं 1980 के चुनाव में अपने कट्टर प्रति‍द्वन्‍दी बलराम सि‍हं यादव (कांग्रेस) से परजि‍त हुये थे। एवं वर्ष 1993 में तीन, वर्ष 1996 तथा वर्ष 2007 में दो-दो वि‍धानसभा सीट से चुनाव लडे़ थे। इन सभी पर मुलायम सि‍हं वि‍जई रहे। 1996 में ही लोकसभा के हुये चुनाव में मुलायम सि‍हं पहली वार ससंदीये सीट  मैनपुरी से चुनाव लडे़ और वि‍जई रहने के बाद  नि‍धौलीकलां एवं सहसबान सीट से इतीफा दे दि‍या था। पहली वार 1989 में जसवन्‍तनगर से जनता दल के टि‍कट पर चुनाव जीत कर उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री तथा दूसरी वार वर्ष 1993 में जसवन्‍तनगर, ति‍लहर एवं शि‍कोहाबाद से चुनाव लडे़ एवं तीनों ही जगह से वि‍जई रहे। इस बार वह दूसरी बार उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री बने और शि‍कोहाबाद सीट का प्रति‍नि‍धि‍त्‍व कि‍या । तीसरी वार  मुख्‍यमंत्री रहते वर्ष 2004 में गुन्‍नौर से वि‍धानसभा का उपचुनाव जीता। वर्ष 2007 में गुन्‍नौर एवं भर्थना से चुनाव लड़ा और दोनों ही सीटों पर वि‍जई रहे लेकि‍न उन्‍होंने भर्थना सीट से प्रति‍नि‍धि‍त्‍व कि‍या। वर्ष 2009 में  लोकसभा के हुये आम चुनाव में मैनपुरी सासंद चुने जाने के बाद भर्थना सीट से त्‍यागपत्र दे दि‍या था।

लोकसभा चुनाव

क्रं0स0 वर्ष लोकसभा क्षेत्र पार्टी परि‍णाम
1 1996 मैनपुरी सपा वि‍जई रहे
2 1998 सभंल (मुरादाबाद) सपा वि‍जई रहे
3 1999 सभंल (मुरादाबाद) सपा वि‍जई रहे
4      1999 कन्‍नौज सपा वि‍जई रहे
5 2004 मैनपुरी सपा वि‍जई रहे

 

नोट मुलायम सि‍हं यादव ने वर्ष 1996 में मैनपुरी से सासंद चुने जाने के बाद पहली वार केन्‍द्र की एचडी देवगौड़ा के नेतृत्‍व में बनी सरकार में रक्षा मंत्री बने। इसी दौरान प्रधानमंत्री के इतीफा देने बाद इन्‍द्र कुमार गुजराल के नेतृत्‍व में बनी सरकार में मुलायम सि‍हं फि‍र से केन्‍द्रीय रक्षामंत्री बने।

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