नगर पालिका इटावा के वरिष्ठ लिपिक राजीव यादव की मौत ने पूरे जिले को हिला दिया है। परिवार का आरोप है कि लंबे समय से हो रहे शोषण और मानसिक उत्पीड़न से परेशान होकर उन्होंने आत्महत्या जैसा कदम उठाया। यह सिर्फ एक परिवार की निजी त्रासदी नहीं है, बल्कि नगर पालिका तंत्र और उसमें बैठे जिम्मेदार लोगों की कार्यशैली पर बड़ा सवाल है।
एसएसपी ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव के निर्देश पर कोतवाली पुलिस ने राजीव यादव के बेटे सिद्धार्थ यादव की तहरीर पर तुरंत कार्रवाई की। सुसाइड नोट में जिन लोगों के नाम दर्ज थे, उनके खिलाफ FIR लिखी गई। इनमें नगर पालिका की चेयरमैन ज्योति गुप्ता, उनके पति और पूर्व चेयरमैन कुलदीप उर्फ संटू गुप्ता, अधिशासी अधिकारी संतोष कुमार मिश्रा, रिटायर्ड पेशकार अतर सिंह सेंगर और रिटायर्ड कर्मचारी सुनील वर्मा शामिल हैं। इन सब पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना), धारा 352 (शांति भंग करने के इरादे से अपमान) और धारा 351(2) (गंभीर चोट या मौत की धमकी) में मुकदमा दर्ज हुआ है।
परिवार का साफ आरोप है कि नगर पालिका में बैठे जिम्मेदार पदाधिकारी लगातार राजीव यादव को दबाव और प्रताड़ना में रखते थे। परिजन बताते हैं कि राजीव यादव कई बार मानसिक तनाव से टूट चुके थे, लेकिन शिकायत करने पर भी कोई सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार मजबूरी में उन्होंने यमुना नदी में कूदकर अपनी जान दे दी।
शनिवार सुबह करीब 10 बजे SDRF की टीम ने जिला मुख्यालय से लगभग 12 किलोमीटर दूर यमुना नदी से राजीव यादव का शव बरामद किया। टीम को घंटों मशक्कत करनी पड़ी। शव निकलते ही परिवार और आसपास के लोग पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे और ज़ोरदार आक्रोश जताया। हर कोई यही सवाल कर रहा है कि आखिर कब तक नगर पालिका में बैठे लोग इस तरह कर्मचारियों के साथ खेलते रहेंगे।
अब पुलिस ने केस दर्ज कर आरोपियों की गिरफ्तारी की तैयारी शुरू कर दी है। विशेष टीमें बनाई गई हैं और कार्रवाई पर उच्चाधिकारियों की सीधी निगरानी है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार मामला दबेगा नहीं और दोषियों को सख्त सजा मिलेगी। लेकिन साथ ही यह डर भी है कि कहीं यह भी बाकी मामलों की तरह धीरे-धीरे ठंडा न पड़ जाए। जनता चाहती है कि राजीव यादव की मौत बेकार न जाए और नगर पालिका में फैले भ्रष्टाचार और शोषण की असलियत सामने आए।