पुलिस लाइन सभागार में एसपी क्राइम की अध्यक्षता में किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में जनपद के सभी थानों के बाल कल्याण पुलिस अधिकारी और महिला आरक्षियों ने भाग लिया।
कार्यशाला में जिला प्रोबेशन अधिकारी सूरज सिंह ने कर्नाटक राज्य में विधि विरुद्ध किशोरों की संख्या और अधिनियम के प्रभावी अनुपालन की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अधिनियम की धारा 08 का कर्नाटक में सख्ती से अनुपालन किया जा रहा है। इसी तर्ज पर जनपद में भी अपराधों में लिप्त किशोरों को संस्थागत देखरेख में भेजने की बजाय अभिभावकों के सुपुर्द करने की नीति अपनाई जानी चाहिए।
उन्होंने यह भी बताया कि 18 वर्ष से कम आयु की बालिकाओं को वन स्टॉप सेंटर में रात्रि विश्राम हेतु भेजने से पहले प्रारूप-42 की तीन प्रतियाँ तैयार करना आवश्यक है, जिसे अगले कार्यदिवस के अपराह्न 2 बजे तक न्यायपीठ बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
संरक्षण अधिकारी सोहन गुप्ता ने किशोर न्याय अधिनियम के 10 अध्यायों और 112 धाराओं के विभिन्न प्रावधानों को विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि यह अधिनियम दो प्रकार के बच्चों—देखरेख एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले और विधि का उल्लंघन करने वाले—के लिए न्याय प्रक्रिया निर्धारित करता है।कार्यशाला में चाइल्ड हेल्पलाइन की प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर कीर्ति गुप्ता ने संकटग्रस्त बच्चों को त्वरित सहायता और सुरक्षा प्रदान करने की प्रक्रिया पर प्रकाश डाला।
एसपी क्राइम सुबोध गौतम ने सभी बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों और महिला आरक्षियों को किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों का मनोयोग से पालन करने के निर्देश दिए। कार्यशाला के अंत में अधिनियम के अनुपालन को लेकर प्रश्नोत्तरी सत्र भी आयोजित किया गया।इस कार्यशाला में 15 बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों, 07 बाल कल्याण पुलिस अधिकारियों के प्रतिनिधियों और महिला आरक्षियों ने प्रतिभाग किया।