ताखा दिसंबर महीने में भी तापमान में उल्लेखनीय गिरावट न होने से रबी की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। विशेषकर आलू किसान इस समस्या से बेहद परेशान हैं। मिट्टी में नमी की कमी के कारण आलू की फसल में अंकुरण कम हो रहा है और फसल को जरूरी पोषण भी नहीं मिल पा रहा है।
नगला लछी निवासी आलू किसान दयाराम कश्यप ने बताया कि “सर्दी न पड़ने के कारण फसल को 10 से 15 प्रतिशत तक नुकसान हो रहा है। कई किसानों के खेतों में आलू की बुआई को काफी समय हो जाने के बाद भी खेत में अंकुरण इतना कम हुआ है कि उन्हें 30 प्रतिशत नुकसान की आशंका लगने लगी है।”
रुद्रपुर निवासी आलू किसान राजेश गुप्ता ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि “शुरुआती दिनों में गर्मी से फसल को नुकसान हो रहा है और यदि इसके बाद यदि तेज सर्दी हो गई तो इसका भी बुरा प्रभाव पड़ेगा।”
आलू किसानों की मानें तो सामान्यतः दिसंबर महीने में तापमान में गिरावट आ जाती है और ठंड का मौसम शुरू हो जाता है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो रहा है। तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण फसल को काफी नुकसान हो रहा है। किसानों को डर है कि यदि इसी तरह मौसम रहा तो आने वाले समय में उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि तापमान में उतार-चढ़ाव से फसल चक्र पूरी तरह से प्रभावित होता है। आलू जैसी फसल को ठंडे मौसम की आवश्यकता होती है। यदि तापमान में अचानक बदलाव आता है तो फसल की वृद्धि रुक जाती है और फसल को कई तरह के रोग लग जाते हैं। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे समय-समय पर कृषि विशेषज्ञों से संपर्क करें और उनकी सलाह के अनुसार ही फसल का प्रबंधन करें।