महेवा बिजली घर में हाल ही में हुए तार चोरी के मामले में जहां उच्चाधिकारियों के आदेश पर चार संविदाकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर उन्हें बर्खास्त कर दिया गया, वहीं इस मामले में शामिल अन्य विभागीय कर्मियों और कबाड़ी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। इससे यह चर्चा उठ रही है कि कहीं बड़े अधिकारियों को बचाने के लिए छोटे कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाया गया हो।
बिजली घर से चोरी गए तारों का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था, जिसमें चोरी किए गए तारों को किसी कबाड़ी के पास रखा हुआ देखा जा रहा था। तारों की चोरी के मामले में आरोप है कि यदि किसी संविदाकर्मी ने तार बेचे भी, तो यह बिना उच्च अधिकारियों की मिलीभगत के संभव नहीं था। यह सवाल उठता है कि चोरी की घटनाओं में बड़े अधिकारियों की भूमिका को क्यों नज़रअंदाज़ किया जा रहा है।
बिजली विभाग के जेई महेंद्र पटेल ने बताया कि प्रथम दृष्टया संविदाकर्मियों की लिप्तता सामने आई है, जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज कराई गई। पुलिस जांच कर रही है और जो भी तथ्य सामने आएंगे, उनके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, विभागीय अन्य कर्मियों और कबाड़ी के खिलाफ कार्रवाई न होने से यह मामला और अधिक संदिग्ध बन गया है।