इटावा में मुहम्मद खालिक का नाम उन गिने-चुने पत्रकारों में शुमार है जिन्होंने अपने जीवन में पत्रकारिता क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया। उनका जीवन संघर्ष, समर्पण और सफलता की एक ऐसी मिसाल है जो इटावा के हर पत्रकार को प्रेरित करता है। मुहम्मद खालिक का जीवन प्रेरणा का एक ऐसा स्रोत है जो यह सिखाता है कि सीमित संसाधनों के बावजूद कोई व्यक्ति अपनी इच्छाशक्ति और मेहनत से असाधारण ऊंचाइयों को छू सकता है।
4 सितंबर 1972 को जन्मे मुहम्मद खालिक ने राजनीति विज्ञान में एम.ए. तक शिक्षा प्राप्त की। पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में उनकी गहरी रुचि थी, विशेषकर हॉकी में। उनकी प्रतिभा ने उन्हें राज्य स्तरीय और नॉर्थ जोन हॉकी प्रतियोगिताओं में कानपुर विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करने का अवसर दिया।
मुहम्मद खालिक ने हॉकी खेल प्रशिक्षक का डिप्लोमा गांधीनगर, गुजरात से प्राप्त किया और इसके बाद स्पोर्ट्स स्टेडियम, इटावा में पांच वर्षों तक हॉकी प्रशिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दीं। उनके मार्गदर्शन में कई खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन किया। ओलंपियन देवेश चौहान, अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी विवेक गुप्ता, और जूनियर इंडिया प्लेयर कुलदीप भदौरिया जैसे दिग्गज उनके प्रशिक्षार्थी रहे।
खेलों में योगदान के साथ-साथ मुहम्मद खालिक ने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी अपनी काबिलियत का लोहा मनवाया। उन्होंने BAG नेटवर्क से अपने पत्रकारिता करियर की शुरुआत की और इसके बाद स्टार न्यूज़, एबीपी न्यूज़, इंडिया टीवी और टाइम्स नाउ जैसे प्रमुख राष्ट्रीय चैनलों में 15 वर्षों तक काम किया।
मुहम्मद खालिक अपनी बेबाक और निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए जाने जाते थे। चाहे वह किसी राजनीतिक मुद्दे पर सवाल करना हो या समाज के संवेदनशील विषयों को उठाना, उनकी रिपोर्टिंग हमेशा सटीक और प्रभावशाली होती थी। उन्होंने पत्रकारिता को न केवल अपने करियर के रूप में देखा, बल्कि इसे समाज को जागरूक करने और सच्चाई के लिए खड़े होने का माध्यम बनाया।
बीहड़ी क्षेत्र की जब भी बात होती है, डकैतों के आतंक की खबरें अक्सर सुर्खियां बनती हैं। लेकिन इन घटनायों को गहराई और सटीकता से समझाने में इटावा के जिन पत्रकारों का नाम सामने आता है, उनमें मुहम्मद खालिक का नाम प्रमुख है। इटावा और आसपास के बीहड़ क्षेत्र की रिपोर्टिंग में उनका दृष्टिकोण और उनकी निर्भीकता ने उन्हें पत्रकारिता जगत में एक अलग पहचान दिलाई।
मुहम्मद खालिक ने न केवल बीहड़ी क्षेत्र की जमीनी सच्चाइयों को उजागर किया, बल्कि उन खबरें को भी दुनिया के सामने लाया, जिन्हें अक्सर दबा दिया जाता था। डकैतों की दुनिया, उनके आपसी संघर्ष, उनके समाज पर प्रभाव और पुलिस-प्रशासन के साथ उनकी सांठगांठ इन सभी पहलुओं को उन्होंने रिपोर्टिंग में बड़ी बारीकी और ईमानदारी से पेश किया।
मुहम्मद खालिक की रिपोर्टिंग की खास बात यह थी कि वह केवल घटनाओं का विवरण देने तक सीमित नहीं रहते थे, बल्कि उनके पीछे छिपे कारणों और परिणामों की गहन पड़ताल करते थे। उनकी रिपोर्टिंग में तथ्यों की सटीकता और एक निष्पक्ष दृष्टिकोण झलकता था, जो पाठकों को सच्चाई के करीब लाता था।
आज, जब भी इटावा के बीहड़ क्षेत्र की पत्रकारिता की बात होती है, तो यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि मुहम्मद खालिक के बिना इस क्षेत्र की खबरें अधूरी सी लगती हैं। उनका योगदान न केवल पत्रकारिता जगत में एक मील का पत्थर है, बल्कि युवा पत्रकारों के लिए प्रेरणा भी है कि सच्चाई को उजागर करने के लिए साहस और निष्पक्षता सबसे महत्वपूर्ण है।
मुहम्मद खालिक आज भले ही हमारे बीच न हों, लेकिन उनका योगदान और उनके सिद्धांत हमेशा याद किए जाएंगे। उनके द्वारा प्रशिक्षित खिलाड़ी, उनकी रिपोर्टिंग और उनके जीवन के मूल्य हमें हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे। इटावा लाइव की पूरी टीम की ओर से मुहम्मद खालिक साहब को शत-शत श्रद्धांजलि। उनकी कार्यशैली, उनके सिद्धांत और उनका समर्पण हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगा।