इटावा। श्री धाम वृंदावन से पधारे भागवत कथा व्यास डॉ०संजय कृष्ण “सलिल जी” महाराज ने श्री राम समारोह स्थल पर तृतीय दिवस की कथा में प्रवचन करते हुए कहा कि भागवत कथा को बार बार श्रवण करना चाहिए क्योंकि यह कथा मनुष्य के शोक,मोह और भय को दूर कर देती है। इसके श्रवण से भूतकाल का शोक,वर्तमान का मोह और भविष्य का भय समाप्त हो जाता है।मित्तल परिवार द्वारा आयोजित भागवत कथा में शनिवार को सदर विधायक सरिता भदौरिया ने भाजपा नेता शिवप्रताप राजपूत,अशोक चौबे, अनंत अग्रवाल,श्याम चौधरी,हरिओम गुप्ता, परिधि वर्मा के साथ व्यास गद्दी का आशीर्वाद लिया। कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए डॉ०संजय सलिल ने कहा कि राजा परीक्षित की मुक्ति का एकमात्र सेतु भागवत की कथा है। अगर राजा परीक्षित नहीं होते तो उन्हें 7 दिन का श्राप भी नहीं लगता। श्राप नहीं लगता तो वे गंगा किनारे कैसे आते। गंगा किनारे शुक्रताल नहीं आते तो शुकदेव जी महाराज परीक्षित को कथा कैसे सुनाते। राजा परीक्षित को सात दिन बाद तक्षक के द्वारा काटने पर मृत्यु होगी,यह श्राप लगता है।वह गंगा किनारे बैठकर शुकदेव जी से कथा श्रवण करते हैं। जीव मात्र की मृत्यु भी सात दिन में होनी है। इन सात दिनों के भीतर कभी भी प्राणांत हो सकता है। इस कारण से भागवत की सप्ताह कथा सात दिन में ही पूरी होती है।इस मानव के जीवन की अवधि भी सात दिन ही है।इसलिए इसे बार-बार सुनना चाहिए क्योंकि यह वेद वेदांत एवं सभी शास्त्रों का सार है। इसी कारण से यह महापुराण है। महापुराण के दस लक्षण होते हैं जो कि भागवत में सन्निहित हैं। पुराण का अर्थ है पुरानी होने पर भी नई लगे।
उन्होंने कहा कि भागवत के वक्ता में काम क्रोध का विकार नहीं होना चाहिए। इसी कारण से व्यासजी अपने पुत्र श्री शुकदेव जी को राजा विदेह के दरबार में भेजते हैं। वहां पर श्री शुकदेवजी के काम क्रोध की परीक्षा होती है।प्रमाण पत्र मिलने पर ही व्यासजी शुकदेवजी को भागवत पढ़ाते हैं।तब शुकदेवजी महाराज राजा परीक्षित को कथा श्रवण कराके मोक्ष की प्राप्ति कराते हैं।
उन्होंने कहा कि भागवत की कथा महाभारत से प्रारंभ होती है। महाभारत के सर्ग के सर्ग युद्ध एवं सुंदरता से भरे हैं क्योंकि कलिकाल के प्राणियों को लड़ाई बहुत अच्छी लगती है परंतु अपने परिवार की नहीं अन्य लोगों की।इस कारण से शुकदेव जी भागवत कथा का प्रारंभ महाभारत से करते हैं। उन्होंने कुंती स्तुति वर्णित करके कुंती की कथा सुनाई जो भगवान श्री कृष्ण से दुख और विपत्ति मांगती हैं क्योंकि सुख आने पर जीव परमात्मा को भूल जाता है। शुकदेवजी की झांकी भी दिखाई गई।
श्रीराम समारोह स्थल पर आयोजित कथा का यू ट्यूब पर “सलिल राधे” चैनल पर लाइव प्रसारण हो रहा है। कथा के अंत में श्रीमती किरन मित्तल,प्रिया मित्तल,कोमल मित्तल, हर्षिता मित्तल,आनंद मित्तल,मुकुंद मित्तल एवं दीपक मित्तल ने आरती की और सभी को प्रसाद वितरण किया।