हमारा इटावा
भारेश्वर मंदिर – जनपद का सबसे विशाल और प्राचीन मंदिर दूसरा नहीं
भरेह का इतिहास तो बक्त के पंछियों सा उड़ गया लेकिन अपने पद चिन्ह यहां के भारेश्वर मंदिर और किले के अवशेषों के रूप ...
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जैन मूर्तिकला का असुरक्षित संग्रहालय जैसा है आसई
आसई को आशानगरी भी कहा जाती है। आसई का अस्ितत्व बस्तुत: इटावा की प्राचीनता का द्योतक है। यमुना के बीहड़ों को काटकर बनाई गई...
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दिलों पर राज करती है जनपद प्रदर्शनी, फुव्वारा है ‘हृदय स्थल’ यहां होता है बिछड़ों का मिलन
शताब्दी वर्ष भी मना चुकी है प्रदर्शनी
इटावा जनपद की संस्कृति से जुड़ी जनपद प्रदर्शनी अपने जीवन के एक सौ वर्ष पूरे कर चुकी है।...
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केन्द्रीय विद्यालय खुलना जिले की सबसे बड़ी उपलब्धि
वर्तमान में जिले मे हर गांव में प्राइमरी पाठशाला, जूनियर हाईस्कूल, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, इण्टरमीडिएट वित्त विहीन हाईस्कूल/इण्टर, वित्त विहीन डिग्री कॉलेज,संस्कृत के कई...
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अर्जुन सिंह भदौरिया ने किया ‘लाल सेना’ का गठन
जिले में अर्जुन सिहं भदौरिया ने गांवों के लोगों को संगठित कर सशस्त्र लाल सेना बनाकर क्रान्ित के लिये पूर्ण तैयारी कर ली थी।...
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झण्डा लगाने की कोशिश में पुलिसिया गोली के शिकार बने छह लोग
भर्थना के विद्यार्थियों ने जुलूस निकाला। मवेशीखाने के मवेशियों को मुक्त्ा कर दिया और तहसील पर राष्ट्रीय झण्डा लगा दिया तथा रेल के तार...
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करूणाजनक घटना रही ‘नगला ढकाऊ’ का गोली कांड
इस आन्दोलन की चिर स्मरणीय, किन्तु करूणाजनक घटना थी ‘नगला ढकाऊ’ का गोलीकांड। जिसमें तीन व्यक्ित पुलिस को गोली के शिकार हुए।यह गोलीकांड 10...
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जब नेहरू और गांधी आंदोलन को गति देने इटावा आये
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इटावा और इटावा मुख्य कस्वों मे पूरी तरह हड़ताल रही। पुलिस ने जुलूसों पर डण्डे बरसाये। इसी समय पं0 जवाहर...
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काकोरी कांड में गिरफतार हुये ज्योति शंकर दीक्षित और मुकुन्दीलाल
क्रान्ितकारियों ने अपना कार्यक्रम शुरू कर दिया और राजनैतिक डकैतियों का सिलसिला जारी हुआ । 9 अगस्त सन् 1925 को काकोरी कांड के रूप...
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जब अंग्रेज युवराज के तमगे लेने से इंकार किया डी0बी0ए0 स्कूल के छात्रों ने
31 जुलाई 1921 ई0 को बम्बई में इंग्लैण्ड के युवराज के आने की खुशी में छात्रों को तमगे बांटे गये किन्तु इटावा के डी0ए0बी0...
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जब कांग्रेस संस्थापक ए.ओ. ह्यूम महिला भेष में भागे इटावा से
ए.ओ. ह्यूम, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के संस्थापक और ब्रिटिश प्रशासक, का जीवन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के शुरुआती दौर की घटनाओं से गहराई से जुड़ा...
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जब अंग्रेजों ने इटावा छोड़ने का फरमान दिया
इस बीच ह्यूम ने एक और दूरदर्शी कार्य किया था। उन्होंने इटावा में स्िथत खजाने का एक बड़ा भाग आगरा भेज दिया था तथा...
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बलैया मंदिर के निकट हुई विद्रोहियो व पुलिस के मध्यह मुठभेड़
19 मई 1857 ई0 को इटावा, आगरा रोड पर जसवन्तनगर के बलैया मंदिर पर निकट बाहर से आ रहे कुछ सशस्त्र विद्रोहियों और गश्ती ...
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1857 के मेरठ विद्रोह की आग दो दिन बाद इटावा पहुंची
10मई 1857 ई0 को मेरठ छावनी मे फूटी विद्रोह की आग दो दिन बाद ही यानी 12 मई को इटावा तक आ पहुंची। उस...
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जब क्रांतिकरियों का दमन करने की जिम्मेेदारी मिली कलेक्टर हयूम को
दरअसल भौगोलिक दृष्टि ये यह जिला क्रांतिकारियों के लिये बड़ा ही उपयुक्त साबित हुआ था। क्योंकि यहां यमुना – चंवल के घने बीहड़ों में...
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स्वा धीनता संग्राम में इटावा का योगदान
सन् 1857ई0 में विद्रोह की ज्वाला बनकर फूट पड़े प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इटावा जिला क्रान्तिकारियों का प्रमुख रणक्षेत्र रहा। यहां लगभग डेढ़...