श्रावण मास के पावन अवसर पर स्थानीय कटरा सेवाकली स्थित महाकालेश्वर महादेव मंदिर में चल रही शिव महापुराण कथा के अंतर्गत आज सोमवार को कथावाचक आचार्य देवेश अवस्थी शास्त्री ने शिव भक्त ययाति के चरित्र और पशुपति व्रत के विधान पर विस्तार से व्याख्यान दिया।
उन्होंने बताया कि चैत्र मास की पूर्णिमा को चित्रा नक्षत्र के योग में पशुपति व्रत का विशेष महत्व होता है। यह व्रत त्रयोदशी से आरंभ होकर पूर्णिमा तक चलता है, जिसमें षोडशोपचार पूजन, रुद्राष्टाध्यायी पाठ, रुद्राभिषेक, गंगाजल से अभिषेक और रात्रि जागरण किया जाता है। अगले दिन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को व्रत का पारण होता है।
कथा में आचार्य शास्त्री ने शिव भक्त ययाति के प्रसंग पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जब इंद्र उनके तप से व्याकुल हुए तो उन्होंने ययाति की परीक्षा हेतु कामदेव और रति की पुत्री अश्रुविन्दुमति को भेजा। ययाति पर काम प्रभावी होने लगा और उन्होंने अपने पुत्रों से यौवन मांगा। पुत्र यदु और तुरु ने इंकार किया तो उन्हें शापित किया गया, जबकि पुत्र पुरु ने अपने पिता को यौवन देकर उनका वृद्धत्व स्वयं स्वीकार कर लिया। आचार्य शास्त्री ने कहा कि यदु वंश में ही आगे चलकर भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, जो सम्पूर्ण ब्रह्मांड के आराध्य बने।
कथा में बताया गया कि ययाति ने अश्रुविन्दुमति के साथ वर्षों तक रमण करने के उपरांत विभिन्न लोकों की यात्रा की।
श्रावण मास के अंतिम सोमवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार दीपचंद त्रिपाठी ‘निर्बल’, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. जयकिशन तिवारी, जितेन्द्र दुबे, पुजारी संतोष चौबे विशेष रूप से उपस्थित रहे। भजन गायक रमन गुप्ता एवं ढोलक वादक टीम ने भक्तिरस में डूबे भजन प्रस्तुत कर वातावरण को भावमय बना दिया।
मंगल मिलन सत्संग आज शाम 6 बजे
संयोजक देवेश शास्त्री ने बताया कि प्रत्येक मंगलवार को आयोजित होने वाला साप्ताहिक मंगल मिलन सत्संग इस बार 5 अगस्त को शाम 6 बजे महाकालेश्वर मंदिर परिसर में होगा। उन्होंने सभी धर्मप्रेमियों से समय पर पहुंचने और सत्संग का लाभ लेने की अपील की है।