समाजसेवी अनन्त अग्रवाल ने केंद्र और राज्य सरकारों से अपील की कि अगर वास्तव में अमीर-गरीब, ऊंच-नीच, सामान्य वर्ग, पिछड़ा वर्ग और दलित वर्ग के भेद को समाप्त करना है, तो आरक्षण की पुनः समीक्षा कर जाति आधारित व्यवस्था को समाप्त कर आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू किया जाना चाहिए।
अनन्त अग्रवाल ने कहा कि आरक्षण लागू हुए लगभग 75 वर्ष से अधिक हो चुके हैं, लेकिन अब तक हर दलित और हर पिछड़े वर्ग को इसका पूरा लाभ नहीं मिल पाया है। आज भी कई पिछड़े और दलित परिवार आर्थिक रूप से कमजोर हैं। उन्होंने कहा कि दलित और पिछड़े की सही परिभाषा आर्थिक रूप से कमजोर होना है, और ऐसे ही लोगों को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय संविधान ने समाज में ऊंच-नीच की जो व्यवस्था थी, उसे समाप्त कर दिया है। आज समाज में सभी एक-दूसरे के सुख-दुःख में खुले मन से शामिल होते हैं और साथ बैठकर खाते-पीते हैं। ऐसे में अगड़ा, पिछड़ा या दलित का भेदभाव अब प्रासंगिक नहीं रह गया है।
अनन्त अग्रवाल ने राजनैतिक दलों से अपील की कि वे केवल वोट बैंक की राजनीति से दूर रहें और उन दलित और पिछड़े परिवारों को आरक्षण का लाभ दें, जो अभी तक इससे वंचित रहे हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में आरक्षण की आड़ में कुछ ही परिवार इसका लाभ उठा रहे हैं, जबकि कई गरीब और जरूरतमंद इससे अछूते हैं। अतः आरक्षण की समीक्षा कर वंचित दलितों, पिछड़ों और आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को इसका लाभ दिया जाए।
उन्होंने केंद्र सरकार से अपेक्षा की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति से कई वर्षों से लंबित विवादित मुद्दों का हल निकाला है। इसी तरह, आरक्षण की समीक्षा की भी जरूरत है। वंचित दलितों और पिछड़ों को जागरूक करने के लिए एक अभियान चलाया जाना चाहिए, ताकि उन्हें उनके अधिकारों का लाभ मिल सके।
अनन्त अग्रवाल ने यह भी कहा कि कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं कि मोदी सरकार आरक्षण समाप्त कर रही है, जबकि हकीकत यह है कि सरकार सभी वर्गों के विकास की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने लोगों से जागरूक रहने और आरक्षण की सही समीक्षा के लिए सरकार का समर्थन करने की अपील की।
उन्होंने पुनः आरक्षण प्रणाली की खुले मन से समीक्षा करने और इसे आर्थिक आधार पर लागू करने की मांग की।