निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद पार्टी) के जिलाध्यक्ष कुंवर सिंह निषाद ने जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें तहसील स्तर पर नियम विरुद्ध जारी किए जा रहे जाति प्रमाण पत्रों पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई।
ज्ञापन में उल्लेख किया गया कि कार्मिक अनुभाग-2 की अधिसूचना संख्या-4(1)/2002-का-2 लखनऊ दिनांक 31-12-2016 एवं संख्या-1/2017/4/1) /2002-का-2, लखनऊ दिनांक 12-01-2017 के तहत निषाद, केवट, मल्लाह, कश्यप, कहार, धीमर, बिन्द, बाध्वम, तुरहा, गोडिया, मांझी, मधुजा जातियों को पिछड़ी जाति की सूची से निकालकर अनुसूचित जाति में शामिल किया गया था। इसके बावजूद, तहसील स्तर पर विशेष रूप से तहसीलदार द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से इन जातियों को पिछड़ी जाति का प्रमाण पत्र जारी किया जा रहा है, जो कि असंवैधानिक है और महामहिम राज्यपाल द्वारा जारी अधिसूचना का उल्लंघन है।
ज्ञापन में यह भी मांग की गई कि राजस्व परिषद के अभिलेखों, संशोधित शासनादेश संख्या-4442/ बीस-818-957 दिनांक 22 मई 1957 तथा अधिनियम 1976 (27 जुलाई 1977) के अनुसार अनुसूचित जाति में शामिल जातियों के हक को लागू किया जाए। महामहिम राष्ट्रपति द्वारा 08 अगस्त 1950 की अधिसूचना में शामिल मझवार व तुरैहा जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिया गया है, जिसे 31-12-2018 को अधिसूचित किया गया था।
ज्ञापन में यह मांग की गई कि तहसीलदारों को निर्देश दिया जाए कि वे नियमों का पालन करें और अनुसूचित जाति की सूची में शामिल जातियों को गलत तरीके से पिछड़ी जाति का प्रमाण पत्र जारी न करें। इस अवसर पर महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष मीरा देवी और प्रदेश सचिव पुष्पा निषाद भी मौजूद रहीं।