चकरनगर में इस वर्ष सरसों की खेती ने नया रिकॉर्ड बनाया है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, चकरनगर ब्लॉक में करीब 4500 हेक्टेयर क्षेत्र में सरसों की खेती की गई है, जो पिछले वर्ष की तुलना में काफी अधिक है। सरसों के तेल की कीमतों में वृद्धि और पिछले साल मिली अच्छी कीमतों के कारण इस बार किसानों ने सरसों की खेती को प्राथमिकता दी है।
फूटाताल, कंधेशीघार, सहसों, सिरसा, कोला, रानीपुरा समेत लगभग 50 गांवों में सरसों की फसल लहलहा रही है। पीले फूलों से ढके खेतों ने न सिर्फ ग्रामीण इलाकों की सुंदरता बढ़ाई है, बल्कि किसानों को भी बेहतर आमदनी की उम्मीद दी है।
मौसम की अनुकूलता ने किसानों की उम्मीदों को और बढ़ा दिया है। खेतों में फैली पीले फूलों की चादर और हल्की ठंड के साथ चल रही हवाएं अच्छी पैदावार का संकेत दे रही हैं। कृषि एडिओ ब्रजेश यादव ने किसानों को फसल में होने वाली बीमारियों से सतर्क रहने की सलाह दी है और किसी भी समस्या के समाधान के लिए तुरंत ब्लॉक कृषि कार्यालय से संपर्क करने को कहा है।
स्थानीय किसान रामनरेश, राजेश यादव, अभिलाख सिंह सहित अन्य किसानों का कहना है कि वे अपनी फसल की पूरी देखभाल कर रहे हैं। सरसों के पौधों पर अच्छी बढ़वार और फूलों की चमक को देखकर किसान बेहद उत्साहित हैं।
“पीला सोना” कहे जाने वाले सरसों के फूलों ने न केवल खेतों की खूबसूरती बढ़ाई है, बल्कि किसानों के चेहरों पर भी मुस्कान ला दी है। अगर मौसम इसी तरह अनुकूल बना रहा, तो इस वर्ष पिछले साल से भी बेहतर उपज की संभावना है।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, सरसों की बढ़ती खेती किसानों के लिए एक लाभदायक सौदा साबित हो सकती है। उचित देखभाल और समय पर रोग नियंत्रण के साथ उत्पादन में बढ़ोतरी होने की पूरी संभावना है, जिससे किसानों को बेहतर मुनाफा मिलने की उम्मीद है।