उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के ओपीडी में इलाज कराने आए मरीजों को पर्चा बनवाने के लिए घंटों लंबी कतारों में खड़ा रहना पड़ा। आभा एप के जरिए टोकन लेने की अनिवार्यता ने मरीजों की परेशानी को और बढ़ा दिया। कई मरीजों के पास स्मार्टफोन नहीं था, तो कुछ तकनीकी समस्याओं के कारण वे टोकन नहीं निकाल सके, जिसके कारण उन्हें पर्चा काउंटर पर धक्का-मुक्की का सामना करना पड़ा।
विश्वविद्यालय में प्रतिदिन आठ से 10 जनपदों से लगभग तीन हजार मरीज उपचार के लिए आते हैं, लेकिन इन बड़ी संख्या में आने वाले मरीजों के लिए ओपीडी में पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण उन्हें काफी परेशानी होती है। जबकि, सरकार ने अस्पतालों में डिजिटल पंजीकरण को बढ़ावा देने के लिए आभा एप को लागू किया है, जिससे मरीजों को लंबी लाइन में लगे बिना ऑनलाइन टोकन मिल सके। लेकिन यह व्यवस्था मरीजों के लिए मुसीबत बन गई है, क्योंकि कई मरीज तकनीकी कारणों और स्मार्टफोन की कमी के कारण इस सिस्टम से जुड़ नहीं पा रहे हैं।
इस समस्या के कारण ओपीडी में भारी भीड़ हो जाती है और मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता। विशेषज्ञों का कहना है कि इस व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है ताकि मरीजों को बिना किसी परेशानी के इलाज मिल सके। मरीजों और उनके परिजनों ने सरकार और अस्पताल प्रशासन से मांग की है कि इस डिजिटल पंजीकरण प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाया जाए, ताकि मरीजों को किसी भी प्रकार की मुश्किल का सामना न करना पड़े।