इटावा। कटे खेड़ा के खबर नवीस आमीन के वालिद और वालिदा ने 17 नवंबर को मक्का, काबा की पवित्र धार्मिक यात्रा उमराह के लिए प्रस्थान किया था। सकुशल यात्रा संपन्न कर स्वदेश वापसी के बाद उनके इटावा आगमन पर जोरदार स्वागत किया गया। स्वागत समारोह में समाजसेवी, राजनीतिक कार्यकर्ता और धार्मिक गुरुओं समेत सैकड़ों लोग उपस्थित रहे। फूल-मालाओं और शॉलों के साथ उनका भव्य इस्तकबाल किया गया।
इस्लामिक जगत में उमराह को अल्लाह की राह पर संघर्ष करने का प्रतीक माना जाता है। पैगंबर मोहम्मद साहब ने फरमाया है कि वृद्ध, युवा, कमजोर और महिलाओं का जिहाद हज और उमराह है। उमराह करने वाले अपने पिछले पापों के लिए प्रायश्चित करते हैं। पैगंबर मोहम्मद साहब ने इसे अपनी सुन्नत बताया और इसे अल्लाह की इबादत का विशेष तरीका कहा।
अबू हुरैरा ने बताया कि हज और उमराह करने वाले अल्लाह के प्रतिनिधि हैं। उनकी प्रार्थनाएं सुनी जाती हैं और उनके गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। उमराह की शुरुआत पैगंबर मोहम्मद साहब के नेतृत्व में हुई, जिसमें हुदेबिया संधि और मुसलमानों के संघर्ष का खास महत्व है। मक्का और काबा जैसे पवित्र स्थलों पर उमराह इस्लामी विधि-विधान के अनुसार संपन्न होता है।
हर साल लाखों इस्लामिक अनुयायी उमराह करने मक्का, काबा पहुंचते हैं। इसी क्रम में आमीन भाई के माता-पिता ने भी उमराह संपन्न किया। उनकी वापसी पर आयोजित स्वागत समारोह में कौमी तहफ्फुज कमेटी के संयोजक खादिम अब्बास, सियासी अखाड़ा के संपादक जनाब खादिम अब्बास, प्रोफेसर डॉ. धर्मेंद्र कुमार, मंसूरी वेलफेयर एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष हाजी मुईनुद्दीन, इस्लाम हिंद पार्टी के जिलाध्यक्ष तसलीम मंसूरी और अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति उपस्थित थे।
स्वागत समारोह के दौरान मेहमानों ने लजीज व्यंजनों का आनंद लिया। कार्यक्रम में हाफिज फैजान अहमद, वरिष्ठ पत्रकार नफीस अंसारी, शाहनवाज आलम, अरशद जमाल, पंकज राठौर और अन्य प्रमुख लोगों ने हिस्सा लिया। सभी ने उमराह यात्रा से लौटे परिवार के सदस्यों को शुभकामनाएं दीं और उनकी यात्रा को इस्लामिक समाज के लिए प्रेरणा बताया।
यह भव्य आयोजन इटावा के सामाजिक और धार्मिक समरसता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है। उमराह यात्रा पूरी करने वाले आमीन भाई के परिवार को अल्लाह की कृपा का प्रतीक मानते हुए उन्हें सभी उपस्थित लोगों ने दिल से बधाई दी।