कैलाश चंद्र यादव एक प्रख्यात शिक्षाविद् हैं जो पानकुंवर इंटरनेशनल स्कूल, मानिकपुर मोड, ग्वालियर बाईपास, इटावा और पानकुंवर इंटरनेशनल स्कूल, सराय दयानत के प्रबंधक हैं। कैलाश चंद्र यादव जनता माध्यमिक विद्यालय चौबिया के प्रबंधक भी हैं। उनका जन्म 13 नवंबर 1975 को हुआ। कैलाश यादव के पिता का नाम श्री सुरेश चंद्र यादव है, जो सीआरपीएफ में सहायक कमांडेंट के पद पर थे। उनकी माता का नाम श्रीमती उषा यादव हैं, जो एक घरेलू महिला हैं। कैलाश अपने परिवार में सबसे बड़े हैं और उनके एक बहन और दो भाई हैं।
उनकी शिक्षा की शुरुआत केंद्रीय विद्यालय लांगजिंग, इम्फाल, मणिपुर से हुई, जहां उन्होंने पांचवीं तक शिक्षा प्राप्त की, आगे बारहवीं तक की शिक्षा उन्होंने केंद्रीय विद्यालय हैपी वैली, शिलांग, मेघालय से प्राप्त की। कैलाश ने अपनी स्नातक की शिक्षा सेंट एडमंड्स कॉलेज, शिलांग, मेघालय से पूरी की। उन्होंने इस कॉलेज से अर्थशास्त्र (ईकोनॉमिक्स) में हॉनर्स प्राप्त किया। उन्हें 1995 में कॉलेज प्रशासन द्वारा कॉलेज प्रतिनिधि चुना गया।
कैलाश यादव ने कॉलेज की बैडमिंटन टीम, बास्केटबॉल टीम, फुटबॉल टीम, और वॉलीबॉल टीम में भी सक्रियता दिखाई है और कई पुरस्कार जीते हैं। उन्हें 1996 के सत्र में सर्वश्रेष्ठ वक्ता का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था। कैलाश चंद्र यादव एक सफल शिक्षाविद् हैं और उनका योगदान पानकुंवर इंटरनेशनल स्कूल, मानिकपुर मोड, ग्वालियर बायपास, इटावा और पानकुंवर इंटरनेशनल स्कूल, सराय दयानत के प्रबंधन में महत्वपूर्ण है। उनकी उत्कृष्टता की दृष्टि से उन्होंने सभी को प्रभावित किया है।
सेना के अधिकारी से विद्यालय के प्रिंसिपल तक का सफर
जब उनके पिता पंजाब स्थानांतरित हुए, तो कैलाश यादव को अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए शिकोहाबाद में रुकना पड़ा। वहां उन्होंने ए.के. कॉलेज शिकोहाबाद से 1998 और 1999 में एमए अंग्रेजी और बीएड की उपाधि हासिल की। कैलाश यादव को मई 1996 में सेकंड लेफ्टिनेंट के पद के लिए चयनित होने का मौका प्राप्त किया। उन्हें इलाहाबाद में साक्षात्कार देने के लिए बुलाया गया, लेकिन शिक्षा के प्रति उनके समर्पण के कारण उन्होंने ये सुनहरा मौका हाथ से जाने दिया । 1999 में, कैलाश यादव ने पीसीएस प्री परीक्षा पास की। हालांकि, उन्होंने मुख्य परीक्षा नहीं दी क्योंकि वे इटावा के ज्ञान स्थली आवासीय विद्यालय में अंग्रेजी शिक्षक के पद पर सेवाएं दे रहे थे। उनका शिक्षण के प्रति आदर देखकर, ज्ञान स्थली आवासीय विद्यालय के प्रबंधन ने उन्हें 2001 में ज्ञान स्थली अकादमी, कटरा शमशेर खान के प्रिंसिपल के रूप में पदोन्नत किया।
जब वह प्रिंसिपल बने तो विद्यालय की छात्र संख्या केवल 84 बच्चों थी, लेकिन उनके प्रयासों और मेहनत के बाद विद्यालय की संख्या 2005 में 1300 तक पहुंच गई। कैलाश यादव ने कठिनाइयों के बावजूद संघर्ष करके एक अद्वितीय संस्थान का नेतृत्व किया है और शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रेरणास्रोत बने हैं। कैलाश यादव का साहस और समर्पण उनके जीवन के नए चरम पर पहुंचने का कारण बने।
दिसंबर 2005 में, उन्हें यूपी पुलिस में सब इंस्पेक्टर के रूप में चयनित किया गया। लेकिन परिवार और रिश्तेदारों के दबाव के कारण, उन्हें मुरादाबाद में प्रशिक्षण के लिए जाना पड़ा। वहां उन्होंने दिसंबर 2006 में पासआउट किया और औरैया में तैनाती प्राप्त की।
हालांकि, उनकी शिक्षा क्षेत्र में काम करने की इच्छा अब भी जीवित थी और पुलिस में शामिल होने से उन्हें रोक दिया गया। इसलिए, फिर से ज्ञान स्थली अकादमी, कटरा शमशेर खान विद्यालय के प्रबंधन के आग्रह पर, उन्होंने पुलिस की नौकरी छोड़ दी और फिर से उसी विद्यालय में प्रिंसिपल के रूप में बन गए।
कैलाश यादव की आदर्शवादी सोच, समर्पण और शिक्षा के प्रति उनका आदर्श आपूर्ति बनी। वह अपने जीवन के माध्यम से न केवल छात्रों को दूसरे महत्वपूर्ण ज्ञान के साथ सशक्त बनाने में सक्षम हुए, बल्कि उन्होंने एक प्रेरणास्रोत के रूप में साबित होकर अन्य शिक्षकों और युवा पीढ़ी के लिए मार्गदर्शन का कार्य भी किया।
कैलाश यादव का जीवन एक अद्भुत परिवर्तन की कहानी है। फिर से उन्होंने ज्ञान स्थली अकादमी में कार्य करते हुए पांच साल बिताए, और विद्यालय की संख्या 2424 तक पहुंच गई। इसके बाद, उन्होंने “सेवन हिल्स” के नाम से एक स्कूल खोलने का फैसला लिया। वहां उन्होंने सात साल तक निरंतर काम किया और विद्यालय की संख्या 2000 तक पहुंच गई।
कैलाश चंद्र यादव का सामाजिक परिवर्तन में भी महत्वपूर्ण योगदान
कैलाश चंद्र यादव ने समाज सेवा, पर्यावरण और शिक्षा के क्षेत्र में अनगिनत पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए हैं। उन्हें अवंतिका, एसओएफ, महात्मा गांधी राष्ट्र भाषा हिंदी प्रचार संस्थान द्वारा सम्मानित किया गया है, साथ ही उन्हें जायंट्स इंटरनेशनल, भारत विकास परिषद, इटावा एवं जिला प्रशासन द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों में पुरस्कार और सम्मान से नवाजा गया है। इनमें “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ”, “मतदाता दिवस”, “स्वच्छता अभियान” और कई अन्य कार्यक्रम शामिल हैं।
कैलाश यादव की मेहनत, समर्पण और उत्कृष्टता को समझकर उन्हें ये सम्मान मिले हैं। वे शिक्षा के क्षेत्र में न केवल अपने विद्यालय को उच्चतम मानक पर पहुंचाने में सफल रहे हैं, बल्कि अपनी सामाजिक प्रभाविता के माध्यम से आसपास के लोगों के जीवन को भी स्पष्ट रूप से प्रभावित कर रहे हैं। उनके योगदान और सेवा का महत्व न सिर्फ उनके परिवार और विद्यालय में है, बल्कि पूरे इटावा जिले में भी महसूस किया जाता है। आज भी, कैलाश यादव अपने समर्पण, संघर्ष और के साथ, सामाजिक परिवर्तन में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं और सभी के लिए एक प्रेरणा के रूप में उभरते हुए हैं।
कैलाश चंद्र यादव, एक प्रशंसित सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरण संरक्षक हैं, जिन्हें हाल ही में वियतनाम, नेपाल, बाराबंकी, फिरोजाबाद और दिल्ली में उच्च पर्यावरण संरक्षण के लिए सम्मानित किया गया है। उन्होंने पर्यावरण के क्षेत्र में एक अद्वितीय पहल की शुरुआत की है और सन् 2005 में विश्व की पहली छात्र पर्यावरण संसद की स्थापना की है। संसद तब से सतत पर्यावरण संरक्षण का कार्य कर रही है। कैलाश चंद्र यादव ने सामाजिक सेवा के क्षेत्र में काम करते हुए विगत कई वर्षों से भारत विकास परिषद तुलसी शाखा के अध्यक्ष के रूप में योगदान दिया है। उन्हें इटावा जायंट्स में भी पदाधिकारी के रूप में चुना गया है। उन्होंने प्याऊ लगाना, गरीब बच्चों को पढ़ाना, गरीब कन्याओं का विवाह करना, सर्दियों में अलाव जलाना, गरीब बच्चों को वस्त्र वितरण करना जैसे विभिन्न सामाजिक सेवाओं को संचालित किया है।
कैलाश चंद्र यादव ने सामाजिक और पर्यावरणिक सेवाओं के कारण अपार सम्मान और पुरस्कार प्राप्त किए हैं। उनका योगदान पर्यावरण संरक्षण में उदाहरणीय है और उनकी समाज सेवा को अनगिनत लोगों ने प्रशंसा की है। उनके कार्यों ने लोगों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन किए हैं और सामाजिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है।
कैलाश चंद्र यादव द्वारा स्थापित पानकुंवर इंटरनेशनल स्कूल अधिकारिक वेबसाइट का पता http://www.paankunwaretawah.com/ है। इस वेबसाइट पर जाकर पानकुंवर इंटरनेशनल स्कूल के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जैसे कि संस्थान के विवरण, संपर्क जानकारी, और अन्य महत्वपूर्ण विवरण।