शताब्दी वर्ष भी मना चुकी है प्रदर्शनी
इटावा जनपद की संस्कृति से जुड़ी जनपद प्रदर्शनी अपने जीवन के एक सौ वर्ष पूरे कर चुकी है। तत्कालीन जिलाधिकारी एच. के. ग्रेसी ने नवम्वर 1888 में पहली बार पक्का तालाब के चारों ओर प्रदर्शनी और मेले का आयोजन किया था और वर्ष 1893 तक इसी स्थान पर प्रदर्शनी लगती रही, लेकिन इसके बाद कुछ वर्षों के लिए इस पर ब्रेक लग गया। 17 वर्ष बाद 1910 से दोबारा जिस स्थान पर यह प्रदर्शनी लगनी शुरू हुई तो इतिहास गवाह है कि प्रदर्शनी बगैर किसी रूकावट के निरन्तर लगती आ रही है और वर्ष 2009 में प्रशासनिक स्तर पर इसका शताब्दी वर्ष भी काफी जोरदारी के साथ मनाया गया जिसका शुभारम्भ कानपुर मण्डल के आयुक्त ने किया था।
शताब्दी वर्ष में ही पहली बार प्रदर्शनी के इतिहास में कई नये आयाम जुड़े और प्रत्येक वर्ष एक माह तक चलने वाली प्रदर्शनी 45 दिन तक चली तथा पण्डाल में आयोजित होने वाले दिन और रात के सभी रंगारंग कार्यक्रमों का पहली बार शहरी दर्शकों ने टेलीविजन पर सीधा प्रसारण भी अपने – अपने घरों पर देखा तो वहीं कड़ाके की सर्दी के बावजूद खचाखच भरे पण्डाल में भी बैठ कर आनंद लिया। खास बात यह रही कि पण्डाल में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों ने लोगों के दिलों भी छूने का काम किया।
गर्मियों की प्रदर्शनी से जुड़ा नया अध्याय
प्रदर्शनी में वर्ष 2006 में एक नया अध्याय उस समय जुड़ गया जब 6 मई को ग्रीष्मकालीन प्रदर्शनी का पहली बार शुभारम्भ किया गया।खेल तमाशों के ठेकेदार टीपू यादव के प्रयासों से शुरू हुई इस प्रदर्शनी से उन बच्चों के चेहरों पर खुशियां देखने को मिली जो गर्मियों की छुटटियों में किन्ही कारणोंवश ननिहाल नहीं जा पाते।
भले ही गर्मियों की यह नुमाइश सर्दियों में लगने वाली नुमाइश की अपेक्षा ज्यादा सुर्खियां नहीं बटोर पा रही हो लेकिन बच्चों को खूब भा रही है। गर्मियों के चलते प्रदर्शनी में रौनक रात्रि 8 बजे के बाद ही देखने को मिलती है। हांलाकि यह प्रदर्शनी भी पूरे एक माह चलती है।
‘विकास प्रदर्शनी’ के जरिये दिखाते हैं लोग अपने हुनर
यह प्रदर्शनी हर वर्ग के लोगों को इस कदर लुभाती है कि इसके लगने का इंतजार लोग बेसब्री से करते हैं। प्रदर्शनी में लगने वाली ‘विकास प्रदर्शनी’के जरिये न सिर्फ शहर,जनपद एंव आस- पास के जनपदों के लोग भी अपनी कला एंव हुनर का प्रदर्शन भी करते हैं,जिन्हे समापन अवसर पर प्रमाण पत्र एंव पुरस्कार देकर सम्मान भी प्रदान किया जाता है। प्रदर्शनी आने वाले लोग भी इसे देखना नहीं भूलते।
बात पण्डाल की करें तो इसके जरिये भी जनपद की हर फन की माहिर लेकिन उभरती हुई प्रतिभायें दर्शकों को लुभाती हैं। यही नहीं इस पण्डाल में बच्चों,युवाओं,युवतियों,महिलाओं व पुरूषों के कार्यक्रम तो होते ही हैं साथ ही जनपद एंव अखिल भारतीय स्तर के कार्यक्रमों में कवि सम्मेलन,संगीत सम्मेलन,कब्बाली,मुशायरा भी होते हैं अखिल भारतीय कवि सम्मेलन की ख्याति तो पूरे देश में सुनी जाती है। यही नहीं अखिल भारतीय स्तर के खेलों में हॉकी,दंगल,कुश्ती भी आयोजित होते हैं। इनके अलावा धार्मिक स्तर के,सैनिक सम्मेलन,पेंन्शनर सम्मेलन, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सम्मेलन, विकलांग सम्मेलन इत्यादि कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं।
प्रदर्शनी जिसे लोग प्यार से कहते ‘नुमाइश’
प्रदर्शनी जिसे लोग प्यार से ‘नुमाइश’ कहते हैं को देखने आने वाले दर्शक यदि फुब्बारे का अवलोकन न करें तो ऐसा हो नही सकता। इसे लोग देखते ही नहीं बल्िक इसके पास सीमेन्टेड पटियों पर बैठ कर मूंगफली खाने और गपशप करने का आनंद ही कुछ ओर आता है। यही वजह है कि इसे पूरी प्रदर्शनी का ‘हृदय स्थल’ कहा जाता है। यही ऐसी जगह है कि जब भी अत्यधिक भीड़ के चलते जब कोई बच्चा खो जाता है अथवा अपने किसी प्रियजन को प्रदर्शनी में बुलाना हो तो लोग रेडियो प्रसारण के चलते इसी स्थान पर मिलने की घोषणा करवातें हैं। खास बात यह है कि रेडियो पूरे शहर में लगवाये जाते हैं जिनके जरिये पूरे 12 घन्टे तक भक्ित एंव फिल्मी गीत बजते हैं एंव खोने पाने जैसी घोष्ाणायें भी समय- समय पर होती रहती हैं।बात यदि मनोरंजन से भरपूर कार्यक्रमों की करें तो यहां मौत का कुंआं,सर्कस,कालाजादू,आकाशीय झूले भी आते हैं।
जिले की जनता की भावनाओं से जुड़ी इस प्रदर्शनी में राष्ट्रीय एकता, देश प्रेम के भाव दिखते है।
प्रदर्शनी में पहले पशु मेला लगता था जहां दूर –दूर के गांवों जिलों से आकर किसान पशुओं की खरीद-फरोख्त करते रहे है । प्रदर्शनी में घरेलू उपयोग, भौतिक बस्तुओं आदि की बड़ी-बड़ी दुकानें लगती हैं। लोग विभिन्न प्रकार की दुकानों से लोग खरीद-फरोख्त करते हैं। वर्तमान जिलाधिकारी अवनीश कुमार राय प्रदर्शनी के अध्यक्ष, अविनव रंजन श्रीवास्तव, अपर जिलाधिकारी, सचिव एवं विक्रम सिंह राघव, जनरल सेक्रेटरी, प्रदर्शनी इटावा है प्रदर्शनी कार्यकारिणी के सदस्य भी हैं जो बैठक कर आपसी निर्णय से कार्यक्रम सम्पन्न कराते हैं।