इटावा। महान दार्शनिक व समाज सुधारक महर्षि दयानंद सरस्वती जी की द्विशताब्दी जयंती शिव नारायण इंटर कॉलेज में प्रधानाचार्य राजकुमार वर्मा के निर्देशन में ज्ञान ज्योति पर्व को दीप प्रज्ज्वलन एवं पुष्प अर्पित कर मनाया गया,साथ ही आर्य समाज पुराना शहर इटावा द्वारा डॉक्टर ज्ञानचंद सक्सेना के आवास पर हवन पूजन एवं मंत्रोच्चारण द्वारा समाज के हित में उनके द्वारा किए गए कार्य एवं विचार बतलाते हुए हर्षोल्लास से मनाई गई। डॉ०ऋतबोध गुप्ता ने इस अवसर पर उपस्थित लोगों को बतलाया कि स्वामी दयानंद जी ने पूरे जीवन पर्यंत पाखंड,अंधविश्वास, सती प्रथा,बाल विवाह, विदेशी गुलामी,विधवाओं पर होने वाले अत्याचार, शोषण छुआछूत,जाति प्रथा आदि का खंडन कर वेदों की ओर लौटने का आवाहन किया था। आज आवश्यकता हम सभी को उनके बताए रास्ते पर चलने की है।
डॉ०ज्ञानचंद सक्सैना ने कहा कि देश की आजादी में स्वामी जी एवं आर्य समाज का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सबसे पहले स्वराज का उद्घोष करने वाले दयानंद सरस्वती जी ही थे,उनकी प्रेरणा और स्वराज के प्रति निष्ठा का ही परिणाम था कि भारत वर्ष में उस समय क्रांतिकारियों की बाढ़ सी आ गई।भगत सिंह,लाला लाजपत राय,श्याम सिंह,कृष्ण वर्मा,स्वामी श्रद्धानंद,पंडित राम प्रसाद बिस्मिल,अशफाक उल्ला खान,मैडम कामा, विनायक दामोदर सावरकर,मदनलाल ढींगरा,महादेव गोविंद रानाडे जैसे अनगिनत हजारों क्रांतिकारी दयानंद जी के विचारों से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपने आप को राष्ट्र के लिए न्योछावर कर दिया था उनके राष्ट्रहितकारी कार्यों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।क्षमा पुरवार ने वेदों की ऋचाये अपने मधुर कंठ से भजन के माध्यम से गाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।इस अवसर पर विवेक गुप्ता, हरि पोरवाल,ज्ञानेश पोरवाल,ऋषिराज आर्य,प्रज्ञा आर्य,दयानिधि चौबे,पंकज कुमार सिंह चौहान,राकेश कुमार, कैलाश वर्मा,दिनेश पुरवार, सौरभ गुप्ता आदि उपस्थित रहे।