Saturday, September 28, 2024
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शिकारियों से एसटीएफ ने लग्जरी कार से बरामद किए संरक्षित प्रजाति के कुल 13 कछुए

डॉ आशीष त्रिपाठी

इटावा आज वन विभाग की एक बड़ी कार्यवाही में NH 2 हाइवे पर अनंतराम टोल प्लाजा के पास हुई धरपकड़ की कार्यवाही में संरक्षित प्रजाति के कुल 13 कछुए एक साथ बरामद किए गए जिनमे 11 कछुए चित्रा इंडिका प्रजाति जिसे गेंगेटिक सॉफ्ट शेल टर्टल भी कहते है और 2 कछुए निलसोनिया गेंगेटिका प्रजाति के है सभी कछुए शेड्यूल 1 प्रजाति के बताए जा रहे है। वन विभाग की धरपकड़ कार्यवाही में अवैध शिकारियों में राजेश चौहान निवासी रुद्रपुर उत्तराखंड , उत्तम दास निवासी रुद्रपुर उत्तराखंड, शुभम निवासी रुद्रपुर उत्तराखंड को मय 13 कछुओं व ट्रेक्टर एवम ट्राली सहित गिरफ्तार किया गया है। जानकारी के मुताबिक वन क्षेत्राधिकारी लखना रेंज विवेकानंद दुबे को किसी मुखबिर के द्वारा सूचना मिली थी कि, कुछ अवैध शिकारी संरक्षित प्रजाति के कछुओं को अवैध तरीके से हाइवे के रास्ते तस्करी के लिए उत्तराखंड ले जा रहे है। जिसके बात उड़न दस्ता प्रभारी प्रबल प्रताप सिंह ने अपने वन कर्मियों की टीम में राम सेवक शर्मा ,सौरभ चौधरी,सुनील कुमार,संतोष कुमार, लान सिंह, मोहर सिंह,धीरेंद्र सिंह ,राम विलास,शिव कुमार, एसटीएफ टीम फील्ड इकाई कानपुर के सहयोग से औरैया की तरफ से आते हुए ट्रेक्टर नंबर यू के 6 AB 3001 को मौके से पकड़ लिया। जिनके कब्जे से कुल 13 जिंदा कछुए जो की शेड्यूल 1 प्रजाति के है बरामद किए गए। उपरोक्त कार्यवाही में वन विभाग द्वारा फर्द बरामदगी की रिपोर्ट तैयार कर अभियुक्तों को वन्यजीव अधिनियम 1972 के तहत धारा 9, 39,48,49,50,51 एवम 26,41,42,52 क के तहत मुकदमा दर्ज कर विधिक कार्यवाही की जा रही है। प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी इटावा अतुल कांत शुक्ला के दिशा निर्देशन में अवैध शिकारियों के विरुद्ध की गई यह एक बड़ी सफल कार्यवाही मानी जा रही है।

डीएफओ अतुल कांत शुक्ला ने जानकारी देते हुए बताया कि, यमुना गंगा से एकत्र किए गए ये कछुए संरक्षित प्रजाति के कछुए है अब जांच एजेंसियों के लिए यह जांच का विषय है कि पश्चिम बंगाल से हटकर अब ये तस्कर उत्तराखंड का रास्ता क्यों अपना रहे थे। उन्होंने बताया कि इन कछुओं का प्रयोग पश्चिम बंगाल में पौरुष शक्ति बढ़ाने के लिए विशेष सूप तैयार करने में किया जाता है । जिसकी वजह से तस्कर इन कछुओं पर अपनी नजर रखते है। पर्यावरण एवम वन्य जीव संरक्षण के लिए कार्य कर रही संस्था ओशन के महासचिव वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ आशीष त्रिपाठी का कहना है कि, ये कछुए किसी भी नदी के स्वस्थ इकोसिस्टटम के सूचक होते है। ये किसी भी जल स्रोत के जलगिध्द भी कहे जाते है जो जल में बहाए जाने वाले या मृत जलीय जीवो के सड़े गले मांस को खाकर जल को प्रदूषित होने से बचाते हैं और पानी को हमेशा पीने योग्य बनाए रखने में सहायक होते है। प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी इटावा अतुल कांत शुक्ला के दिशा निर्देशन में अवैध शिकारियों के विरुद्ध की गई यह एक बड़ी सफल कार्यवाही मानी जा रही है।

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