इटावा। अखिल भारतीय कायस्थ महासभा युवा प्रकोष्ठ के तत्वाधान में चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर मंगलवार को लेखनी के देवता भगवान श्री चित्रगुप्त जी महाराज का प्रकट उत्सव श्रद्धाभाव के साथ हर्षोल्लास से मनाया गया। भगवान का आकर्षक श्रंगार कर हवन पूजन हुआ और इस मौके पर संगीतमय सुंदरकांड का पाठ व भंडारा भी आयोजित किया गया। कायस्थ समाज ने भगवान चित्रगुप्त के प्रकट उत्सव की एक दूसरे को शुभकामनाएं दी।
युवा प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों ने सुबह चित्रगुप्त इंटर कॉलेज में बने मंदिर में जाकर भगवान का आकर्षक श्रंगार किया इसके बाद जटपुरा स्थित मंदिर व शादीलाल धर्मशाला में स्थित मंदिर में भी भगवान चित्रगुप्त महाराज का श्रृंगार कर पूजन अर्चन किया गया।मुख्य कार्यक्रम चित्रगुप्त इंटर कॉलेज में बने मंदिर में हुआ। यहां पर शाम 3:00 बजे संगीत में सुंदरकांड का पाठ आयोजित किया गया जिसमें श्रद्धालु झूमते रहे। पाठ के समापन पर हवन भी हुआ जिसमें सभी लोगों ने आहुतियां डाली इसके बाद भंडारे का प्रसाद वितरित किया गया। कायस्थ समाज के लोगों ने अपने-अपने घरों पर भी विधि विधान के साथ भगवान चित्रगुप्त महाराज की पूजा अर्चना की। कार्यक्रम में युवा प्रकोष्ठ के उपाध्यक्ष सागर भटनागर, सचिव विशाल सक्सेना , अनिकेत सक्सेना ,राजेश सक्सेना ,गौरव सक्सेना ,अनीता जौहरी ,नितिन निगम ,अनिल श्रीवास्तव ने सहयोग प्रदान किया ।
इस मौके पर अखिल भारतीय कायस्थ महासभा युवा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सौरभ कुलश्रेष्ठ ने कहा कि जिस प्रकार शनिदेव को सृष्टि का प्रथम दंडाधिकारी कहा जाता है इसी प्रकार भगवान चित्रगुप्त सृष्टि के प्रथम न्यायाधीश हैं उन्हें न्याय का देवता माना जाता है पुराणों के अनुसार धर्मराज चित्रगुप्त महाराज अपने दरबार में मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा करके न्याय करते
हैं। भगवान की रचना ब्रह्मा जी के चित्त से हुई थी वह ब्रह्मा जी के सत्रहवें मानस पुत्र भी हैं।